पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/३९९

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भाल्हेखण्ड । ३६८ पहिया रथके स्थमाँ भिड़िगे घोड़न भिड़ी रान में रान ।। भाला छूटे असवारन के मारे एक एक को ज्यान ७० ऊँट चढ़ेया ऊँटन भिड़िगे पैदर चलन लागि तलवारि॥ भुजा औ छाती में हनि मारै कउशिर काटिदेइँ भुइँडारि ७१ वड़ी लड़ाई में क्षत्रिन के नदिया वही रकत की धार । लड़ि लड़ि हाथी तामें गिरिगे छोटे द्वीपन के अनुहार ७२ छुरी कटारी मछली जानो ढालें कछवा मनो अपार ।। कटि कटि बार बड़े शूरन के जस नदियामाँ वह सिवार ७३ भुजा छत्तिरिन के बाहै जस ऊँटन बँधिगे नदी कगार॥ विना पैरके वह बछेड़ा मानों घूमैं मगर अपार ७४ विना मूड़ के क्षत्री वाहि वहि छोटीडोंगिया सम उतरायँ ॥ गिद्ध कागसब तिन पर सो हैं मानों जल विहारको जायँ ७५ न. योगिनी खप्पर भरि भरि मज्जै भूत प्रेत वैताल ॥ कुत्तन गरमा ऑतनमाला स्यारनसक्नकीन मुहलाल७६ त्यही समइया त्यहिअवसर माँ यहु द्यावलिको राजकुमार ॥ गई हाँकन सों ललकार मारे भुजा ताकि तलवार ७७ धक्या बाले तब ऊदन ते उदन सुनिल्यो कानलगाय ॥ भागे क्षत्रिन का मारयो ना नहिं सब क्षत्रीधर्म नशाय ७८ हाथ सिपाहिन पर डारयो ना जब लग ढूँदि मिलै सरदार।। कउँधालपकनिविजुलीचमकनि आपो चिलीन तलवार७६ देवा ऊदन के मारुन मा क्षत्री होन लागि खरिहान ॥ हिरसिंह विरसिंह दोऊ कोपे तिनहुनकीनघोरघमसान ८० बड़ी लड़ाई भै विरिया माँ हमरे बूतकही ना जाय ॥ जितने कायर रहें फौजन माँ तर लोथिनके रहे लुकाय ?