पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/४

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श्रथ अाल्हखण्ड ॥ संयोगिनि स्वयम्बर पृथीराज और जयचन्द का युद्ध वर्णन ॥ सिंहावलोकनछन्द ॥ बन्दत तोहिं सदा गणनायक जासु कृपा दुख दारिद नारी। नाशै दारिद दोष सबै उर अन्तर आतमज्ञान प्रकाशै ॥ प्रकाशै आतमज्ञान जबै तब दुःख सबै जगको सुखभाशै । भाशै सुखको दुख सत्य जबै ललिते न तबै यमराजो फाँशै । सुमिरन ।। कौरव पाण्डव दोउ दल जूझे करिके कुरुक्षेत्र मैदान ।। सोई जनमे सब दुनिया में आल्हा ऊदन भादि महान । जिनकी कीरति घर घर फैली छैलिकै लीन जगतको छाय॥ को यश बरणे तिन क्षत्रिन के हमरे बूत कही ना नाय २ जैसे थाल्हा रणशूरन को आल्हा ऊदन दीन गड़ाय ।। तैसे छापा सब गुणियन हित मुंशी साहब दीन वढाय ३