पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/४००

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माठा रोटी गाँजरकीलड़ाई | ३६६ ह्याला आवें जब हाथिन के तब बिन मरे मौत जाय॥ कोउ कोउ रोवें महतारिन का. कोउरदुलहिनिकालुलु आँयँच२ कायर बिन यह सुर्यन सों बावा आजु अस्त हइजाउ। राति अँधेरिया जो कै पाऊँ भागिकैतीसकोसघरजाउँ ८३ घरमाँ खावें आपनि भैसि चरावन जायें। ऐसि नौकरी हम करि हैं ना कण्डा बेचि शहरमाखाय ८४ त्यही समइया त्यहि अवसर माँ हिरसिंह बोल्यो भुजाउठाय॥ बनते कन्या धरि आईती त्यहिके अहिउ बनाफरराय ८५ अहिउ टुकरहा परि मालिक के औ चंदेले केर गुलाम ।। जाति गुलामन की हीनी है तुम्हरो नहीं लड़को काम ८६ यह कहिभाला नागदवनिको दूनो अँगुरिन लीनउठाय।। दूनो अंगुरिन भाला तौले काली नाग ऐस मन्नाय ८७ तारा हूँ आसमान ते औ हिरगास भुई ना जाय। छूटिग भाला जो हाथे ते कम्मर मचा उनाका आय ८८ तरेते कटिगा यह मछरीबद ऊपर कटिगा कुलाकबार ॥ बचा दुलरुवा द्यावलि वाला ज्यहिका राखिलीनकरि ८६ औ ललकाराफिरि हिरसिंहको ठाकुर खबरदार हैजाउ। दूध लरिवई मा पायो ना तुम्हरे मरे चढ़े ना घाउ ६० चार हमारी सों बचिजायो घरमाँ छठी धरायो जाय। गर्दन ठोक्यौ फिरि बेंदुल के हौदा उपर पहूंचो धाय ६१ दालकी औझरिसों हनिमारा हिरसिंह गिरयो मूर्छाखाय । तव फिरि विरसिंहने ललकारा ऊदन खवरदार लैजाय ६२ भाला वरछिन को बहुमारा ऊदन लीन्यो वार बचाय ।।. वाकिकै मारा फिर विरसिंह को सोऊ गिरा मूछा खाय ६३