पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/४०४

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गाँजरकीलड़ाई । ४०३ मुच्छित ढेगा सातनि राजा तुरते कैदलीन करवाय ।। बांधिक मुशकै महराजा की कनउजतुरतदीनपहुँचाय १३० जोगा भोगा दोउ मारेगे जखमी भयो पपीहा आय ।। इतना शोचत उदयसिंह के मनमागयोक्रोधअतिकाय१३१ माल खजाना सब सातनि का ऊदन तुरत लीन लुटवाय ॥, कूब करायो फिरि पट्टी ते पहुँचे देश कामरू जाय १३२ गड़िगे तम्बू तहँ आल्हा के सब रंग धजा रहे फहराय ॥ चला कामरू का हरिकारा राजे खबरि सुनाई जाय १३३ फौजे आई क्यहु राजा की डाँड़े भीर भार अधिकाय ॥ इतना सुनिकै कमलापति ने गुप्ती धावन दीन पठाय १३४ खबरिलायकै सो फौजन की राजै फेरि सुनावाआय ॥ सुनिक बातें त्यहि धावन की डंका तुरत दीन बजवाय १३५ हाथी सजिगा कमलापति का तापर आपभयो असवार।। झीलमबावतरपहिरिसिपाहिन हाथ म लई दालतलवार १३६ यक यक भाला दुइ दुइ बलछी कोताखानी लीन कटार ।। हथीचया हाथिन चदिगे बाँके घोड़न पर असवार १३७ वाजी तुरही तहँ मुरही सब पुप्पू पुप्पू परै सुनाय ।। बाजे डना अहतङ्का के राजा कूचदीन करवाय १३८ आयकै पहुँच्यो जब डाँड़े पर गर्मीई हाँकदीन ललकार ॥ को चढ़िावा है डाँड़े पर सम्मुख ज्वाबदेय सरदार १३६ पाचे फौजै ऊदन करिके आगे घोड़ नचावाजाय । गर्मीई हाँकनते बोलत भा यहु रणवाघु बनाफरराय १४० तुमपर चड़िके लाखनि आये. पैसा आपदेउ मँगवाय ॥ कुमक म आये आल्हा गकुर ऊदननाम हमारो आय १४१