मुच्छित ह्वैगा सातनि राजा तुरतै कैदलीन करवाय॥
बांधिकै मुशकै महराजा की कनउजतुरतदीनपहुँचाय १३०
जोगा भोगा दोउ मारेगे जखमी भयो पपीहा आय॥
इतना शोचत उदयसिंह के मनमागयोक्रोधअतिछाय १३१
माल खजाना सब सातनि का ऊदन तुरत लीन लुटवाय॥
कूच करायो फिरि पट्टी ते पहुँचे देश कामरू जाय १३२
गड़िगे तम्बू तहँ आल्हा के सब रंग ध्वजा रहे फहराय॥
चला कामरू का हरिकारा राजै खबरि सुनाई जाय १३३
फौजे आई क्यहु राजा की डाँड़े भीर भार अधिकाय॥
इतना सुनिकै कमलापति ने गुप्ती धावन दीन पठाय १३४
खबरिलायकै सो फौजन की राजै फेरि सुनावाआय॥
सुनिकै बातैं त्यहि धावन की डंका तुरत दीन बजवाय १३५
हाथी सजिगा कमलापति का तापर आपभयो असवार॥
झीलमबखतरपहिरिसिपाहिन हाथ म लई ढालतलवार १३६
यक यक भाला दुइ दुइ बलछी कोताखानी लीन कटार॥
हथीचढ़ैया हाथिन चढ़िगे बाँके घोड़न पर असवार १३७
बाजीं तुरही तहँ मुरही सब पुप्पूं पुप्पूं परै सुनाय॥
बाजे डङ्का अहतङ्का के राजा कूचदीन करवाय १३८
आयकै पहुॅच्यो जब डाँड़े पर गरूई हाँकदीन ललकार॥
को चढ़िावा है डाँड़े पर सम्मुख ज्वाबदेय सरदार १३९
पाछे फौजै ऊदन करिकै आगे घोड़ नचावाजाय॥
गरूई हाँकनते बोलत भा यहु रणबाघु बनाफरराय १४०
तुमपर चढ़िकै लाखनि आये पैसा आपदेउ मँगवाय॥
कुमक म आये आल्हा गकुर ऊदननाम हमारो आय १४१
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गाँजरकीलड़ाई। ४०३
