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पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/४०६

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गाँजरकीलड़ाई। ४०५

माल खजाना सब लुटवायो डंका फेरि दीन बजवाय॥
जीति कामरू कामरू को तहँते कूच दीन करवाय १५२
जायकै पहुँचे बंगाले में झंडा तहाँ दीन गड़वाय॥
बजे नगारा तहँ आल्हा के नभऔअवनिशब्दगाछाय १५३
गा हरिकारा तब जल्दी सों राजै खबरि सुनावा जाय॥
भारी फौजै क्यहु राजा की डाँड़े परीं हमारे आय १५४
सुनिकै बातैं हरिकारा की राजा गयो सनाकाखाय॥
देखन पठवा क्यहु अफ्सर को त्यहिसबखबरिसुनावाआय १५५
गुरुखा राजा बंगाले का मन्त्रिन बोला बचन सुनाय॥
तुरत नगाड़ा को बजवावो सवियाँफौजलेउसजवाय १५६
हुकुम पायकै महराजा का सबियाँ फौज भई तैयार॥
पहिल नगाड़ा मा जिनबंदी दुसरे फाँदिभये असवार १५७
हथी अगिनियाँ महराजा को सोऊ बेगि भयो तय्यार॥
सुमिरि भवानी जगदम्बा का राजा तुरत भयो असवार १५८
ढाढ़ी करखा बोलन लोगे बिप्रन कीन बेद उच्चार॥
रणकी मौहरि बाजन लागीं रणकाहोनलागब्यवहार १५९
पांच घरी के फिरि अर्सा मां राजा गयो समर में आय॥
घोड़ बेंदुला को चढ़वैया यह रणवाघु बनाफरराय १६०
सम्मुख आवा महराजा के औ यह बोला भुजा उठाय॥
बारह बरसन की बाकी अब राजन आप देउ मँगवाय १६१
लाखनि आये हैं कनउज ते आल्हा ऊदन साथ लिवाय॥
छोटे भाई हम आल्हा के ऊदन नाम हमारो आय १६२
इतना सुनिकै गुरुखा राजा बोला महाक्रोध को पाय॥
टरिजा टरिजा रे सम्मुख ते नहिंशिरदेवों भूमिगिराय १६३