चिन्ता ठाकुर रुसनी वाला ताको जीति लीन फिरिजाय॥
बजे नगारा हहकाराके तहँ ते चला बनाफरराय १८३
आयकै पहुँचा फिरि गोरखपुर सबियाँ शहर लीन घिरवाय॥
सूरजठाकुर गोरखपुर का ऊदन लीन तहाँ बँधवाय १८४
तहँते चलिकै पटना आवा यहु रणबाघु बनाफरराय॥
पूरन राजा पटना वाला ताको कैदलीन करवाय १८५
चला वनाफर फिरि तहँना ते काशीपुरी पहूँचा आय॥
धन्य बखाने हम काशी का मनमेंशिवाचरणकोध्याय १८६
अज अबिनाशी घट घट बासी पूरण ब्रह्म शम्भु करतार॥
परम पियारी निज काशी के आजौ सत्य सत्य रखवार १८७
रहे भास्करानँद स्वामी हैं सबके माननीय शिरताज॥
अव लग काशी हम देखी ना ना कछुपरा क्यहूते काज १८८
वर्ष अठारा कीन नौकरी बाबू प्रागनरायण धाम॥
छपीं पुस्तकै ह्याँ जितनी हैं ते सब पढ़ा पेटके काम १८९
सुनी बड़ाई भल काशी की दासी सरिस मुक्ति तहँ भाय॥
तौनी काशी अविनाशी मा ऊदन तम्बू दीन गड़ाय १९०
हंसामनि काशी का राजा ऊदन कैद लीन करवाय॥
मारू डंका फिरि बजवाये कनउज चलावनाफरराय १९१
तीनि महीना औ तेरा दिन गाँजर खूब कीन तलवार॥
बारह राजन को कैदी करि पठवा जयचँद के दरबार १९२
बोला मारग में लाखनि ते बेटा देशराज को लाल॥
हम पर साँकर जहँ कहुँ परिहै लाला रतीभानके लाल १९३
बदला देहौ की मुरिजैहौ लाखनि साँच देउ बतलाय॥
सुनिकै बातैं बघऊदन की लाखनिगंगशपथगाखाय १९५
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आल्हखण्ड। ४०८
