पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/४१८

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सिरसाकासमर । ४१७ सात कोसली मलखे ठाकुर मारत मारत गये हटाय ६० रंग बिरंगी पृथ्वी द्वैगे पृथ्वी झेंगे मज्जा चविपरै दिखराय ॥ बड़ा लड़या बिरमा वाला ज्यहिका कही बनाफरराय ६१ त्यहि के संगर धरती काँपै थर थर आसमान थर्राय ॥ काह हकीकति है ताहर के जो संगरते देय हटाय ६२ पाँउ पछारी को 'डारे ना यहु रणबाघु बीर मलखान ।। कोऊ क्षत्री अस दूसर ना मलखे साथ करै मैदान ६३ मुर्चा फिरिगा पृथीराज का लौटा तबै बीर मलखान ।। बाजे डंका अहतंका के लौटे सबै सिपाही ज्वान ६४ पहुंचे पिरथी तब दिल्ली में सिरसा सिरसा का सरदार ॥ माता बिरमा त्यहि औसरमा द्वारे आरति लीन उतार ६५ एक समैया की बातें हैं आये उरई के सरदार ।। आवो आवो बैठो बैठो बिरमा कीन बड़ा सतकार ६६ माहिल बैठा तब महलन मा करिकै रामचन्द्र को ध्यान । बोला माहिल फिरि विरमा ते तुम्हरो पूत बड़ा बलवान ६७ बड़े लड़या दिल्ली वाले ते सब हारिंगये चौहान ।। कौनि तपस्या तुम कैराखी पैदा भये बीर मलखान ६८ सरबर मलखे की दुनियामा दूसर नहीं लीन औतार ॥ यहै मनावै परमेश्वर ते इनका भलाकरौ कर्तार ६६ नाम हमारो है दुनिया मा भैने माहिल के बरियार ।। आल्हा ऊदन मलखे सुलखे इनते हारि गई तलवार ७० यह मना जगदम्बा ते अंजलि जोरिजोरि शिरनाया। मलखे सुलखे आल्हा ऊदन नीके रहैं बनाफरराय ७१ सुनि सुनि बातें ये माहिलकी नारी बुद्धिहीन जगजान ।।