जैसो स्वपना तुम देखा है तैसो दीख हमों है भाय॥
बिपदा आई है मल्हना पर साँचो साँच बनाफरराय २३
होत भुरहरे के स्वपना सब साँचे उदयसिंह सरदार॥
करो बहाना अब गाँजर को औ मोहबे को होउ तयार २४
कुँवा विवाहन की विरिया मा दीन्ह्यो प्राण नेग तुम भाय॥
चढ़ा पिथौरा है दिल्ली का साँचोस्वपनपरादिखलाय २५
चलिये जल्दी अब मोहबे को लाखनिराना संगलिवाय॥
इतना सुनिकै द्यावलि वाला लाखनि पास पहूँचा जाय २६
बड़ी नम्रता ते बोलत भा यह रणबाघु बनाफरराय॥
जाहिर पबनी है मोहबे की साँची सुनो कनौजीराय २७
मोरि लालसा यह डोलति है पवनी करैं मोहोबे जाय॥
करैं वहाना हम गाँजर को तुमको मोहबा लवैं दिखाय २८
इतना सुनिकै लाखनि बोले चलिये वेगि बनाफरराय॥
चरचा करिये नहिं मोहबे की नहिं सब जैहैं काम नशाय २९
करो तयारी अब गाँजर की पहुँचैं नगर मोहोबे जाय॥
जैसि दवाई रोगी माँगै तैसी वैद देय बतलाय ३०
तैसि खुशाली भै ऊदन के डंका तुरत दीन बजवाय॥
हुकुमलगायो फिरि लश्करमा सजिगे सबै शूर समुदाय ३१
जहाँ कचहरी चंदेले की ऊदन तहाँ पहूँचे जाय॥
हाल बतायो महराजा को दोऊ हाथ जोरि शिरनाय ३२
लाखनिरानाकी मंशा है गाँजर खेलैं खूब शिकार॥
म्बरिव लालसा यह डोलतिहै राजा कनउज के सरदार ३३
सुनिकै बातैं बघऊदन की राजै हुकुम दीन फरमाय॥
तहँते चलिकै अदन देवा आल्हा पास पहूँचे आय ३४
पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/४२९
दिखावट
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
४
आल्हखण्ड। ४२८
