पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/४३३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

आल्हखण्ड। ४३२ साँचे योगी जनु पैदा भे पूरण योग परे दिखराय ॥ माथा चमकै भल ऊदन का नैननगई अरुपता छाय ६६ चढ़ा उतारू भुजदण्डै हैं सब विधि सुघर लहुरखाभाय ।। नगर मोहोवा की गलियन में योगिन दीन्यो धूममचाय.७० रय्यति मोही परिमालिक की दीन्हेनि खानपान विसराय ।। भये बावला सँग योगिन के घूमन लागि नारिनर धाय ७१ रूप देखिकै लखराना का मोही युवा वाल तहँ प्राय ॥ अलख लाडिला रतीमान का लाखनिशूरवीर अधिकाय ७२ नयन मिलावै नहिं नारिनसों नीचे शीशलेय आँधाय ।। राग हिंडोला ऊदन गावै अँगुरिनमाव बतावत जाय ७३ मीरा ताल्हन बनरस वाला सो इकतारा रहा बजाय ॥ ताल स्वरन सों देवा ठाकुर खझरी खूब रहा गमकाय ७४ खबरि पायके मल्हना रानी- योगिन महललीन बुलवाय ।। चन्दन चौकिन माँ योगी सब · बैठे रामचन्द्र को ध्याय ७५ मल्हना बोली तहँ योगिनते साँचे हाल देउ बतलाय ।। पूत पिथौरा के चारो तुम यह हम मनै लीन ठहराय ७६ लूटन आयो है महलन को सो यह मनै देउ विसराय ।। जियत न जहाँ तुम महलनते ब्रह्मारंजित लेउँ बुलाय ७७ मारि सिरोहिन ते हनिडर है यमपुर अवै घाँ दिखलाय ।। हाय ! बेंदुला का चवैया नाहिंन आजु लहुरवाभाय ७८ सून पायक पृथीराज ने गाँस्यो नगर मोहोत्रा आय ।। पै अस खाली है मोहबा ना · जस तुम मनैलीन ठहराय ७६ तिरिया लरि हैं रजपूतन की भाला बलछी साँग उठाय।। कुशल पिथौरा की हैहै ना तुम ते साँच दीन बतलाय ८०