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पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/४४७

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आल्हखण्ड। ४४६

दोऊ मारैं तलवारिन सों दोऊ लेयँ ढाल पर वार ३०
कोऊ काहू ते कमती ना दोउ रण परा बरोबरि आय॥
वार चलाई रंजित ठाकुर सूरज लैगा चोट बचाय ३१
सूरज मारा तलवारी का रंजित लीन ढाल पर वार॥
रंजित मारा तलवारी का का चेहरा काटि निकरिगै पार ३२
सूरज जूझे जब मुर्चा में पहुँचा टंक तुर्तही आय॥
टंक सामने अभई आये खेलन लागि जूझके दायँ ३३
यहु रणनाहर माहिलवाला गई हाँक देय ललकार॥
टंक शंक तजि त्यहि औसरमा दूनों हाथ करै तलवार ३४
साँग चलाई नृपति टंक ने अभई लीन्ही वार बचाय॥
भाला मारा जब अभई ने तोंदी परा घाव सो जाय ३५
टंक औ सूरज दोऊ मरिगे हाहाकार फौज गा छाय॥
गा हरिकारा फिरि फौजन ते राजै खबरि जनाई जाय ३६
हाल पायकै पृथीराज ने ताहर बेटा लीन बुलाय॥
मर्दनि सर्दनि को बुलवावा तिनते हालकहा समुझाय ३७
टंक और सूरज दोऊ जूझे कीरतिसागर के मैदान॥
लाश लयआचो द्वउ वीरन की भात्री जानि सदा वलवान ३८
हुकुम पायकै महराजा को डंका तुरत दीन बजवाय॥
तीन लाखलों लश्कर लैकै तुरतै कूच दीन करवाय ३९
कीरतिसागर मदनपालपर ताहर अटा तुरतही धाय॥
लाश देखिकै द्वउ वीरन कै सो पलकी म दीन रखवाय ४०
निकट जायकै दल रंजितके गरुई हॉक कहा गुहराय॥
कौन बहादुर है मोहबे का सूरज के दीन गिराय ४१
होला दैकै चन्द्रावलि का अवहीं कूच देउ करवाय॥