औ ललकारा फिरि ताहर को सँभरो दिल्ली के सरदार ६४
इतना सुनिकै ताहर बोले अभई बार बार धिक्कार॥
लिल्लीघोड़ी के चढ़वैया माहिल बाप तुम्हारे यार ६५
तिनके लरिका तुम तलवरिहा कबतै भयो कहौ सरदार॥
इतना सुनिकै अभई ठाकुर अपनी खैंचि लीन तलवार ६६
ताहर अभई दोउ बीरन का परिगा समर बरोबरि आय॥
रञ्जित जूझे हैं संगर में धावन खबरि सुनाई जाय ६७
खबरि पायकै मल्हना रानी तुरतै गिरी तहाँ कुम्हिलाय॥
बारह रानी परिमालिक की गिरि गिरि परैं पछाराखाय ६८
रञ्जित रञ्जित के गुहरावैं छाती धड़कि धड़किरहिजाय॥
मारे डरके पिंडुरी काँपैं थर थर देह रही थर्राय ६९
कोगति बरणै चन्द्रावलि के भलिकैविपति कही ना जाय॥
सावधान भै मल्हनारानी तुस्तै दीन्ह्यो दूत पठाय ७०
बोलन लागी चन्द्रावलि ते मनमा बार बार पछिताय॥
खप्पर भरिंगा धिक् बेटी त्वहिं सागर पूत गँवावा आय ७१
इतना कहिके मल्हना रानी तुरतै गिरी पछाराखाय॥
गा हरिकारा हाँ मोहबे मा ब्रहमै खबरि जनाई जाय ७२
रञ्जित जूझे हैं सागर पर तिनकी लाश लेहु उठवाय॥
इतना सुनिकै ब्रह्मा ठाकुर डंका तुरत दीन बजवाय ७३
सजि हरनागर तहँ ठाढ़ो थो तापर कूदि भये असवार॥
पाँचलाख लों फौजे लैकै सागर चलन हेतु तय्यार ७४
ढाढ़ी करखा बोलन लागे बिप्रन कीन बेद उच्चार॥
रणकी मौहरि बाजन लागी रपका होनलाग ब्यवहार ७५
झीलमवखतरपहिरिसिपाहिन हाथमे लई ढाल तलवार॥
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