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पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/४५१

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आल्हखण्ड। ४५०

आगे हलका भा हाथिन का पाछे चले घोड़ असवार ७५
अभई ठाकुर ह्याँ ताहर का होवै खूब भड़ाभड़ मार॥
दूनों मारैं तलवारी सों दूनों लेयँ ढालपर वार ७७
मारे मारे तलवारिन के नदिया वही रक्त की धार॥
मुण्डन केरे मुड़चौरा भे औ रुण्डन के लगे पहार ७८
को गति बरणै त्यहि समया कै आमाझोर चलै तलवार॥
चार चूकिगा माहिलवाला जूझा उरई का सरदार ७९
रञ्जित अभई द्वउ ठकुरन के उठि उठि रुण्ड करैं तलवार॥
सुरपुर पहुँचे दोऊ ठाकुर ब्रह्मा आयगयो त्यहिवार ८०
लाश पाय कै द्वउ वीरन कै मोहबे तुरत दीन पठवाय॥
सुमिरिगजानन शिवशङ्करको मारन लाग फौज मा जाय ८१
ब्रह्मा मारै तलवारी सों घोड़ा टापन देय गिराय॥
ब्रह्मा ठाकुर के मुर्चामा सर्द्दनिगयो तड़ाका आय ८२
हसिकै बोला सो ब्रह्माते ठाकुर साँच देयँ बतलाय॥
डोला दैकै चन्द्रावलि का पवनी करो आपनी जाय ८३
सुनिकै बातैं ये सर्द्दनि की बोला मोहबे का सरदार॥
नाम न लीन्हे अब डोलाका नहिं मुखधाँसिदेउँ तलवार ८४
सुनिकै बातैं ये ब्रह्माकी सर्द्दनि मारा गुर्ज उठाय॥
बार रोंकि कै ब्रह्मागकुर तुरतै दीन्ह्यो मूड़ गिराय ८५
मर्द्दनि आवा तब सम्प्तखमा सोऊ वार चलावा आय॥
खाली वार परी मर्द्दनि के ब्रह्मा दीन्ह्यो मूड़ गिराय ८६
मर्द्दनि सर्द्दनि दोऊ जूझे माहिल अटे तड़ाका धाय॥
हाल बतावा पृथीराज का माहिल बारबार समुझाय ८७
इकले ब्रह्मा हैं मोहबेमा तिनका आप लेउ बँधवाय॥