पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/४७७

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आल्ह खण्ड। ४७६ कीन बहाना फिरि ऊदन ते बोला कनउज का महिपाल । कीन हँसोवा हम आल्हा ते लाला देशराज के लाल १४१ जितनी फौजें हैं कनउज मा सो लेलेउ बनाफरराय ।। रुपिया पैसा जो कछु चाही तुम्हरोमालखजानाआय १४२ लाखनि रानाको तिलका सों माँगो जाय बनाफरराय ।। हमरी ठकुरी नहिं लाखनि पर तुम ते साँचदीन बतलाय१४३ कैद करैया को आल्हा को नीके जाउ लहुरवाभाय ।। सुनि जगनायक ऊदन आल्हा तीनों चले शीशकोनाय१४४ ऊदन पहुँचे दिग लाखनि के औसब हाल कहा समुझाय ।। चढ़ा पिथौरा दिल्लीवाला गाँसानगरमोहोबाआय १४५ विदा मांगिक अब माता सों चलिये बेगि कनौजीराय ॥ इतना सुनिकै लाखनि चलिमे सँगमालिहेल हुरवाभाय १४६ रानी तिलका के महलन मा दोऊ अटे तड़ाका धाय॥ -सोने चौकी दोऊ वैठे माताचरणनशीशनवाय १४७ कही हकीकति सब तिलका ते यहु रणवाघु लहुरखाभाय ।। 'आयसु पात्रे लखराना जो देखें नगर मोहोबा जाय १४८ सुनिक बातें उदयसिंह की तिलका गई सनाकाखाय ।। बारह रानिन मा इकलौता साँची सुनो बनाफरराय १४६ सो चलिजैहैं जो मोहवे का हमरी जियत मौत द्वै जाय ॥ इतना कहिक रानी तिलका तुरतै वाँदी लीन बुलाय १५० कहि समुझावा त्यहि वॉदीका पदमै खबरि जनावो जाय ।। करिशृङ्गार महल अपने मा राखे वह तहाँ बिलमाय १५१ इतना सुनिके बॉदी दोरी रानी खबरि जनाई जाय ॥ मुनिक बातें त्यहि वाँदी की लीन्योगंगनीरमँगवाय १५२