पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/४७८

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आल्हाकामनावन। ४७७ हनवन कीन्ह्यो गंगाजलसों रेशम सारी लीन मँगाय।। ओढ़ी सारी काशमीर की चोलीबन्दकसे अधिकाय १५३ . पैर महाउर को लगवायो नैनन सुरमा लीन लगाय। कड़ाके ऊपर छड़ा विराने त्यहिपर पायजेब हहराय १५४ पहिरि करगता करिहाँयेंमा नइ नइ चुरियाँ लीन मँगाय ॥ परिग्यरिबहियाँ हरिहरिचुरियाँ शोभा कही वून ना जाय १५५ अगे अगेला पिछे पछेला तिन विच ककना करें बहार।। जोसन पट्टी बांधि बजुल्ला टा. भुजन केर शृंगार १५६. को गति बरणै तहँ हमेल के चमकै हार मोतियनक्यार ।। नथुनी लटकन पहिरिनासिका कानन करनफूलकोधार १५७ गुन्झी पहिरी दोउ कानन में टीका मस्तक करै वहार॥ बँदिया शिर पर सोनेवाली पैरन विछियाकी झनकार १५८ अनवट पहिरे दउ अँगुठन में हाथन लीन आरसीधार॥ मुंदरी छल्ला सब अँगुरिनमा रानी खूबकीन श्रृंगार १५६ विदा माँगिकै महतारी ते हाँ चलि दिये कनौजीराय ।। द्वार राखिकै उदयसिंह का रानी महलगये फिरिआय १६०० रानी कुसुमा आवत दीख्यो तुरते उठी तड़ाकाधाय॥ पकरिक बाहू दउ प्रीतमकी पलँगा उपर लीन बैठाय १६१ पंसासारी को मँगवावा सखियाँ लाई तुरत उठाय।। बड़ी खातिरी करि पदमाकै खेतुन लाग कनोजीराय १६२ कुसुमा बोली तब लाखनि ते स्वामी हाल देउ बतलाय ॥ किह्यो तयारी तुम कहना की काहेगयो अचाकाआय १६३ सुनिक बातें ये पदमा की बोला तुरत कनौजीराय ।। किरिया कीन्ही हम अदन ते ओवातीलगगंगमँझाय १६५