पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/४८

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महोवेका प्रथमयुद्ध । ४३ मुनिक बातें ये करिया की क्षत्रिन लिह्यो कुल्हाडाहाथ ॥ मर कुल्हाड़ा फिरि फाटक में नायकै रामचन्द्र को माथ ५७ यह गति चारो भाइन दील्यो ताल्हन बनरस को सरदार ॥ पांचों मिलिकै सम्मत करिकै गरुई हांक दीन ललकार ५८ जल्दी खोलो अब फाटक को सूरति धखों करिंगा केरि ।। जान न पाई माडोवाला • मारों एक एक को हेरि ५६ यह कहि फाटक को खुलवायो औ फौजनमाँ परेदवाय ॥ मारन लागे चारो भाई जिनका कही बनाफरराय ६० जौनी दिशि को ताल्हन जावें कोउ न पैर अड़ावै ज्वान ।। ॥ जौनी दिशिको बच्छराजजायँ त्यहिदिशिमारिकरैखरिहान ६१ को गति बरण देशराजकै सरबरि करै कौन सरदार ॥ बड़ा लडैया रहिमलटोंडर दोऊहाथ करें तलवार ६२ मूडनकरे मुड़चौरा मे औ रंडनके लाग पहार।। खूनकि नदिया तहँ बहि निकरी जूझे बड़े बड़े सरदार ६३ बड़ा लडैया माडोवाला' यहु जम्बैको राजकुमार ॥ ताल्हनकरे यहु मुरचापर कीन्हेसि पाँचघरी तलवार ६४ जीति न दीख्यो जब ताल्हनसों तब फिरि भागा लिहेपरान ।। बचे खुचे जे माडोवाले तेऊ भागिगये सब ज्वान ६५ यह सुनि पावा रनिमल्हनाने चारिउ कुँवर लीन बुलवाय॥ बड़ी बड़ाई करि चारों की औपरिमालसों कहा बुझाय ६६ इन्हें टिकावो तुम मोहबे माँ इनके ब्याह देव करवाय ।। ईजति हमरी इन राखी है औ गाढ़ेमाँ भये सहाय ६७ बातें मुनिकै रनिमल्हना की फिरि दरवार पहूंचे आय ।। देशराज औ बच्छराज को दोउन लीन्ह्यो हृदयलगाय ६८