सुनिकै बातैं ये करिया की क्षत्रिन लिह्यो कुल्हाड़ाहाथ॥
मरैं कुल्हाड़ा फिरि फाटक में नायकै रामचन्द्र को माथ ५७
यह गति चारो भाइन दीख्यो ताल्हन बनरस को सरदार॥
पांचों मिलिकै सम्मत करिकै गरुई हांक दीन ललकार ५८
जल्दी खोलो अब फाटक को सूरति द्दखों करिंगा केरि॥
जान न पाई माड़ोवाला मारों एक एक को हेरि ५९
यह कहि फाटक को खुलवायो औ फौजनमाँ परेदबाय॥
मारन लागे चारो भाई जिनका कही बनाफरराय ६०
जौनी दिशि को ताल्हन जावैं कोउ न पैर अड़ावै ज्वान॥
जौनी दिशिको बच्छराजजायँ त्यहिदिशिमारिकरैंखरिहान ६१
को गति बरणै देशराजकै सरबरि करै कौन सरदार॥
बड़ा लड़ैया रहिमलटोंडर दोऊहाथ करैं तलवार ६२
मूड़नकेरे मुड़चौरा भे औ रूंडनके लाग पहार॥
खूनकि नदिया तहँ बहि निकरी जूझे बड़े बड़े सरदार ६३
बड़ा लड़ैया माड़ोवाला यहु जम्बैको राजकुमार॥
ताल्हनकेरे यहु मुरचापर कीन्हेसि पाँचघरी तलवार ६४
जीति न दीख्यो जब ताल्हनसों तब फिरि भागा लिहेपरान॥
बचे खुचे जे माड़ोवाले तेऊ भागिगये सब ज्वान ६५
यह सुनि पावा रनिमल्हनाने चारिउ कुँवर लीन बुलवाय॥
बड़ी बड़ाई करि चारों की औ परिमालसों कहा बुझाय ६६
इन्हैं टिकावो तुम मोहबे माँ इनके ब्याह देव करवाय॥
ईजति हमरी इन राखी है औ गाढ़ेमाँ भये सहाय ६७
बातैं सुनिकै रनिमल्हना की फिरि दरबार पहूंचे आय॥
देशराज औ बच्छराज को दोउन लीन्ह्यो हृदयलगाय ६८
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महोबेका प्रथमयुद्ध।
