पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/४८३

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आल्हखण्ड । ४८२. शोहरा फेली यह दुनिया मा हँसिहें जाति बिरादर भाय ।। मेहरा लड़िका रतीभान का सँगमालिहे जनानाजाय २११ नेसो समया अब नाहीं है जैसे समय भये रघुराय ।। बड़े प्रतापी कृष्णचन्द्रजी द्वापरजन्मलीनतिनआय २१२ कलियुग बाबा की रजधानी रानी कहा गई बौराय ।। दया धर्म दुनिया ते उठिगे दर दर सत्य पछारा जाय२१३ घर घर कुलटा हैं कलियुग में नर नर पाप भरा अधिकाय ।। जर जर जरना है दुनिया मा हर हर हरी हरी विसराय २१४ आखिर मरना है दुनिया मा लरना धर्म हमारा प्राय॥ इतना कहिके चला कनौजी रानी फेरि लीन बैठाय २१५ दिया बुझायो तुम परहुलका इतना किह्यो राहमें जाय ॥ पाँव पिछारी का डास्यो ना चहुतनधजीधजीउडिजायः१६ कीरति प्यारी नर नारिन के निन्दा सुने मौत कै जाय ॥ तहिले ठाकुर बघऊदन जी लाखनिलाखनिरहेबुलाय२१७ हाँक पाय के बघऊदन के तुरतै चला कनौजीराय ॥ हारे मिलिक बघऊदन को जयचदसभागयोफिरिधाय२१८ मस्तक धरिकै दउ चरणनमा लाखनि ठगढ़भयो शिरनाय ।। तब शिर सूंध्यो जयचंदराजा आयसु फेरिदीन हाय २१६ आल्हा ऊदन को बुलवायो। लाखनि बाँह दीन पकराय ।। तुम्हें कनौजी का सौंपत हैं दोऊ सुनो बनाफरराय २२० सुनिके बातें महराजा की दोऊ भाय बनाफरराय । ओलन लागे महाजा ते राजन साँचदेय बतलाय २२१ जहाँ पसीना लखराना का तह गिरि जैहैं मूड़ हमार ॥ शामें संशय का नाही है मानो सत्य भूमिभरतार २२२