शोहरा फैली यह दुनिया मा हँसिहैं जाति बिरादर भाय ।।
मेहरा लड़िका रतीभान का सँगमालिहे जनानाजाय २११
जैसो समया अब नाहीं है जैसे समय भये रघुराय ।।
बड़े प्रतापी कृष्णचन्द्रजी द्वापरजन्मलीनतिनआय २१२
कलियुग बाबा की रजधानी रानी कहा गई बौराय ।।
दया धर्म दुनिया ते उठिगे दर दर सत्य पछारा जाय२१३
घर घर कुलटा हैं कलियुग में नर नर पाप भरा अधिकाय ।।
जर जर जरना है दुनिया मा हर हर हरी हरी विसराय २१४
आखिर मरना है दुनिया मा लरना धर्म हमारा आय॥
इतना कहिके चला कनौजी रानी फेरि लीन बैठाय २१५
दिया बुझायो तुम परहुलका इतना किह्यो राहमें जाय ॥
पाँव पिछारी का डारयो ना चहुतनधजीधजीउडिजाय २१६
कीरति प्यारी नर नारिन के निन्दा सुने मौत ह्वै जाय ॥
तहिले ठाकुर बघऊदन जी लाखनिलाखनिरहेबुलाय२१७
हाँक पाय कै बघऊदन के तुरतै चला कनौजीराय ॥
द्वारे मिलिकै बघऊदन को जयचँदसभागयोफिरिधाय२१८
मस्तक धरिकै द्वउ चरणनमा लाखनि ठाढ़भयो शिरनाय ।।
तब शिर सूंध्यो जयचँदराजा आयसु फेरिदीन हर्पाय २१९
आल्हा ऊदन को बुलवायो लाखनि बाँह दीन पकराय ।।
तुम्हें कनौजी का सौंपत हैं दोऊ सुनो बनाफरराय २२०
सुनिके बातें महराजा की दोऊ भाय बनाफरराय ।
बोलन लागे महाजा ते राजन साँचदेयॅ बतलाय २२१
जहाँ पसीना लखराना का तह गिरि जैहैं मूड़ हमार ॥
शामें संशय कछु नाहीं है मानो सत्य भूमिभरतार २२२
पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/४८३
दिखावट
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२०
आल्हखण्ड । ४८२.
