पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/४९

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आल्ह खण्ड । १४ तिनसोबोल्योपरिमालिकफिरि हमरी बातसुनो दोउभाय॥ दूध पूत औ धनदौलत के मालिक तुम्हीं बनाफरराय ६६ मीराताल्हन बनरस वाले तिनसों बोल्यो रजापरिमाल । फौजनकेरे तुम मालिकही हमरे बचन करी प्रतिपाल ७० नाई वारी को बुलवायो तिनसों को वचन समुझाय।। जाति विरादर जहँ हमरे हैं तिनका सबरि सुनावोजाय ७१ लरिका कारे परिमालिक घर व्याहन योग भये हैं आय॥ कारी कन्या जिनघर हो टीका तुरत देय पठवाय ७२ सुनिकै वात परिमालिक की नाइन पतालगायो जाय॥ दलपतिराजा सालीयर का त्यहि फिरि टीकादीनपठाय७३ देशराज औ बच्छराज को लेकै पहुँचिगयो परिमाल । द्यावलि विरमों दूनो कन्या इनको व्याहिदीन नरपाल ७४ देशराज का द्यावलि सँगमें विरमाँ बच्छराज के साथ ।। व्याहिकेचलिभेपरिमालिकफिरि मनमें सुमिरि भवानीनाथ ७५ दोनों बहुवन को सँग में ले मोहवे अायगये परिमाल । खवरि जनायो यह सखियनने मल्हनाबहुतभईखुशियाल ७६ दौरति, आई फिरि द्वारेपर औ आरती उतारी आय ॥ बॉह पकरिलइ दोउ बहुवन की राखी रंगमहल में जाय ७७ हार नौलखा के लेवे को आयो रहे करिंगाराय॥ स्वई हार लै रानी मल्हना औद्यावलिको दीन पहिराय७८ दूसर हार और तेसे ले विश्मागले दीन फिर डार ।। अनंद वर्धया वाजन लागी घर घर होय मंगलाचार ७६ को गति वरणे त्यहिसमया के हमरे बूत कही ना जाय.॥ सुसमांसोयोपरिमालिक फिरि मल्हना संग महल इय ८०