पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/४९७

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आल्हवण्डा ४६६ लाखनिराना मीरा सय्यद धनुवाँ सहित उतरिगे पार॥ नौसे हाथी लखराना का सातसै हथी पिथौरा क्यार २२ सोलासै के हाथी दलमा पहुंचे तुरत कनौजीराय ।। जितने हाथी दूनों दल के सोसव तुरतलीन खिदवाय २३ गा हरिकारा पृथीराज का चौड़े खबरि जनाई जाय ॥ हमरी अपनी सब हथिनिनको लाखनिराना लीनखिदाय २४ सुनिक बातें हरिकारा की चौड़ा फौजलीन सजवाय॥ धाँधूठाकुर को सँग लैकै तुरतै कूचदीन करवाय २५ बीस खेत जब लाखनि रहिंगे चौड़ा बोला वचन सुनाय।। कहाँते आयो औ कह जैहौ आपन हाल देउ बतलाय २६ इकलो हाथी लखि चौंडाको लाखनि भूरी दीन बढ़ाय।। सम्मुख आये जब चौंड़ा के बोले तवै कनौजीराय २७ वेन चक्कवै के नाती हम बेटा रतीमान को जान। मोहबा देखन हम जाइत है लाखनि नाम हमारो मान २८ आल्हा ऊदन के सँग आयन चौड़ा साँच दीन बतलाय ॥ इतना सुनते चौड़ा बोला मानो कही बँदेलेराय २६ आल्हा चाकर परिमालिक के सो कनउजको गये रिसाय।। कीनि चाकरी उन जयचंदकी तिनके साथ कनौजीराय ३० ऐसी कहिये नहिं काहू सों अबहीं कूच देउ करवाय॥ संगति राजा अरु चाकर की कतहुँ न सुनाकनौजीराय ३१ इतना सुनिकै लाखनि वोले मानो कही चौंड़ियाराय ।। बड़ी बड़ाई ऊदन कीन्ही. तब मनगई लालसा पाय ३२ विना मोहोत्रा आँखिन दीखे कैसे कूच देय करवाय ॥ इतना सुनिके चौड़ा बोला मानो साँच कनौजीराय ३३ ३