मूँड़ि लपेटा हाथी भिड़िगे अंकुश भिड़े महौतन क्यार ।।
गजके हौदाते शर बरषैं नीचे करैं महाउत मार ४६
कटि कटि कल्ला गिरैं खेतमा घायल भये सुघरुवा ज्वान ॥
नदी बेतवा के डांड़ेपर लाखनि चौंड़ाका मैदान ४७
दाव्यो लश्कर लखराना का लाग्यो होन भड़ाभड़ मार ॥
भागि सिपाही दिल्लीवाले अपने डारि डारि हथियार४८
चौंड़ा बाम्हन नौ लाखनिका परिगा समर बरोबरि आय ॥
तीर चौंड़िया तकिकै मारा लाखनि लैगे वार बचाय ४९
तुरतै भूरी को दौरावा चौंड़ा पास पहूँचे जाय ।।
भाला मारा लखराना ने हाथी गिरा पछाराखाय ५०
तुरत चौंड़िया पैदल ह्वैगा तब यह कहा कनौजीराय ॥
पायॅ पियादे को मारैं ना हाथी और लेउ मँगवाय ५१
इतना कहिकै लाखनिराना आगे दीन्ही फौजबढ़ाय ।।
बाजे डंका अहतंका के हाहाकार शब्द गा छाय ५२
मुर्चा हटिगा जब चौंड़ा का धावन तबै पहूँचा जाय॥
सुनि हरिकारा की बातै सब ताहर बेटा लीन बुलाय ५३
हुकुम लगावा महराजा ने तुम चढ़िजाउ नदीपर धाय ॥
हुकुम पिथौरा का पावतखन डंका तुरत दीन बजवाय ५४
सजा रिसाला घोड़न वाला आला तीनि लाखलों भाय ।।
कच्छी मच्छी ताजी तुर्की हरियल सुर्ख परैं दिखेराय ५५
को गति वणै तहॅ सिरगनकी मिरगन चाल चलेसब जायॅ ।
हंस चालपर पँचकल्यानी मुश्की मोरसरिस दिखरायॅ ५६
लबा कि चालन ताजी जावैं हरियल चलैं कबूतर चाल ।
कच्छी कच्छपकी चालनमा मच्छी मगरमच्छकी चाल ५७
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आल्हखण्ड । ४९८
