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पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५००

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नदीबेतवाकासमर । ४९९

 सुर्खा जावैं शशाचालपर तुर्की तीतर के अनुहार ।।
भाला वलछी छुरी कटारी लीन्हे चढ़े ढाल तलवार ५८
अंगद पंगद मकुना भौंरा सजिगे श्वेतबरण गजराज ।।
धरी अँवारी तिन हाथिन के बहुतन हौदा रहे बिराज ५६
आदि भयंकर हाथी ऊपर पिरथीराज भये असवार ।।
तीरकमानै अनगिन्ती लै लीन्ही फेरि ढाल तलवार ६०
छुरी कटारी भाला वरछी लीन्हे सबै नृपति हथियार ।।
घोड़नाम दलगंजन ऊपर ताहर आगे राजकुमार ६१
ढढ़ी करखा बोलन लागे विप्रन कीन बेद उच्चार ।।
औरि वयरिया डोलन लागीं औरै होनलाग व्यवहार ६२
मारु मारु कै मौहरि बाजी बाजी हाव हार करनाल ।।
खर खर खर खर कै रथ दौरे रव्वा चले पवनकी चाल ६३
घोड़ा हीसैं हाथी चिघरैं ह्वैगा अन्धधुन्ध त्यहिबार ।।
डेढ़ लाख दल पैदल लीन्हे राजा दिल्ली का सरदार ६४
डगमग डगमग धरती डोली देवता झाँपि गये असमान ।।
देवी देवता पृथ्वी वाले चक्रित भये देखि चौहान ६५
को गति वरणै त्यहि समया कै जा क्षण चला पिथौराज्वान ॥
लाली लाली आँखी कीन्हे गजभरि छातीका चौहान ६६
जहाॅ है फौजै लखराना की प्यारो पूत कनौजी क्यार ।।
मीराताल्हन बनरस वाला सिर्गा घोड़े पर असवार ६७
धनुगाँ तेली है घोड़े पर वारहु कुँवर बनौधा केर ।।
चारौराजा गाँजर वाल तिनते कहा कनौजी टेर ६८
आई फौजै पृथीराज की यारो वेगिहोउ हुशियार ।।
इतना सुनिकै कनउन वाले बोले सबै शूरसरदार ६६