पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५००

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

नदीबेतवाकासमर । ४६६ सुर्खा जावें । शशाचालपर तुर्की तीतर के अनुहार ।। भाला वलछी छुरी कटारी लीन्हे चढ़े ढाल तलवार ५८ अंगद पंगद मकुना. भौंरा । सजिगे श्वेतवरण गजराज ।। धरी अंबारी तिन हाथिन के बहुतन हौदा रहे बिराज ५६ आदि भयंकर हाथी ऊपर पिरथीराज भये असवार ।। तीरकमानै अनगिन्ती लै लीन्ही फेरि ढाल तलवार ६० छुरी कटारी भाला वरछी लीन्हे सबै नृपति हथियार ।। घोड़नाम दलगंजन ऊपर ताहर आगे राजकुमार ६१ ढदी करखा बोलन लागे विप्रन कीन बेद उच्चार ।। औरि वयरिया डोलन लागीं औरै होनलाग व्यवहार ६२ मारु मारु कै मौहरि बाजी बाजी हाव हार करनाल ।। खर खर खर खर के रथ दौरे ख्वा चले पवनकी चाल ६३ घोड़ा हीसे हाथी चिघरै द्वैगा अन्धधुन्ध त्यहिबार ।। डेढ़ लाख दल पैदल लीन्हे राजा दिल्ली का सरदार ६४ डगमग डगमग धरती डोली देवता झाँपि गये असमान ।। देवी देवता पृथ्वी वाले चकित भये देखि चौहान ६५ को गति वरणै त्यहि समया के जा क्षण चला पिथौराज्वान ॥ लाली लाली आँखी कीन्हे गजभरि छातीका चौहान ६६ जहाँ है फौजे लखराना की प्यारो पूत कनौजी क्यार ।। मीराताल्हन बनरस वाला सिर्गा घोड़े पर असवार ६७ धनुगाँ तेली है घोड़े पर वारहु कुँवर बनौधा केर ।। चारोराजा गाँजर वाले वाले तिनते कहा कनौजी टेर ६८ आई फौजे पृथीराज की यारो वेगिहोउ हुशियार ।। इतना सुनिकै कनउन वाले बोले सबै शूरसरदार ६६