पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५०१

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आल्ह खण्ड। ५०० हुकुम लगावो अब तोपन को गोलंदाज होयँ तय्यार ।। लखि अस मर्जी सरदारन की लाखनिहुकुमदीनत्यहिवार७० लैले थैली बारूदन की सो तोपनमा दई डराय ॥ गोला छूटे दुहुँ तरफा के हाहाकार शब्द गा छाय ७१ लागे गोला ज्यहि हाथी के मानो चोर सेंधि कैजाय ।। जउने ऊंट के गोला लागै तुरतै गिरे सार अललाय ७२ लागे गोला ज्यहि घोड़ा के मानो मगर कुल्याचे खाय ॥ गोला लागै ज्यहि क्षत्री के धुनकतरुईसरिसउड़िजाय ७३ जउने स्थमा गोला लागै विजली गिरे वृक्ष जस आय ।। तैसे चूरण करि स्यन्दन को पहियाधुरी देय अलगाय ७४ फूटें गोला जब ठुकरे मा विथ पाँच खेतलों भाय ।। गोली निकर तिन गोलन ते ओलनसरिसजायँतहँछाय ७५ बोलि न पा कोउ ठाकुर तहँ चुप्पे भूमि देय पौढ़ाय॥ बड़ी दुर्दशा भै तोपन मा तव फिरि मारु बन्दलैजाय ७६ दुनों गोल आगे को बढ़िगे रहिगा डेढ़ खेत मैदान ।। भाला बलछी की मारुन मा व्याकुलभये सिपाहीज्वान७७ शुण्डा कटिगे हैं हाथिन के रुण्डन द्वैगा ऊंच पहार ।। कल्ला कटि कटि गिरें बछेड़ा पैदा होन लागि सरदार ७८ गंगा ठाकुर कुड़हरि वाला पूरन पटना का सरदार।। देवी मरहटा दक्षिण वाला अंगदनृपतिग्वालियरक्यार७९ हिरसिंह विरसिंह विरिया वाले इनके साथ करें तलवार । भुरा मुगलिया कावुल वाला सय्यद वनरस का सरदार ८० धाँधू धनुवाँ का मुर्चा है नौ दतियाके वंशगुपाल चिंता ठाकुर रुसनी वाला गुरखा नृपति शहरवंगाल १