पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५०५

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पाल्ह खण्ड । ५०४ सुनिकै बातें ये माहिल की राजा लीन कमान उठाय ।। त्यही समैया त्यहि औसरमा रूपन गये नदीपर आय ११८ पानी देखें रक्त वर्ण सब रूपन गये बहुत चकड़ाय॥ ऊंची टिकुरी चढ़ि देखतभे चहुँदिशिरुण्डपरैदिखराय ११६ पनी पियायो तहँ घोड़े का झावर गयो तड़ाका आय ॥ जहना तम्बू था द्यावलिका रूपन अटा तड़ाकाधाय १२० द्वारे ठाढ़ी द्यावलि माता रूपन बोला बचन सुनाय ।। पनी पियावन हम नदी गे तहँ विपरीतपरा दिखराय १२१ हमरे मनते यह आवति है नदिया जुझे कनौजीराय ।। खबरि मँगावो तुम लाखनिकै हमरे धीर धरा ना जाय १२२ इतना सुनिक द्यावलि माता आल्हा पास पहूँची जाय ॥ खबरि सुनाई सब आल्हाको रूपनगयो जौनवतलाय १२३ बारह रानिन का इकलौता ऊदन लाये ताहि लिवाय ॥ होय हँसौवा सब दुनिया मा जोमरिंगयेकनौजीराय १२४ सातलाख सों चढ़ा पिथौरा देवो उदयसिंह पवाय॥ इतना सुनिकै आल्हा वोले माता काह गयी बौराय १२५ गाँजर उसरीथी ऊदन की नदिया लड़ें कनौजीराय ।। कछु नहिं जान पाल्हा ठाकुर माता साँच दीन बतलाय १२६ नाहि हँसोवा का डर राखें प्यारो मोर लहुरवाभाय ।। जो कहुँ जुझिहें उदयसिंहजी तौहमकाहकखफिरिमाय १२७ सुनिके बातें ये आल्हा की द्यावलि उठी तड़ाका धाय ।। का माता अटी तहाँपर आय १२८ आवत दीख्यो जव माता को ऊदन गहा दपद जाय ॥ आदर करिक महतारी का उत्तमआसन दीन बिछाय:२६ 1 जहँना तम्बूथा ऊदन