छाँड़े मुर्चा भागति आवै औरौ परे नजरि सब आय ।।
दय्या बापू की ध्वनि लागी कोऊ पाव घसीटनजाय १४२
बिना हाथ के कोऊ आवै कोऊ रोवै घाव दिखाय ।।
हाय ! गोसइयाँ दीनबन्धुकहि कोऊ सज्जन रहे मनाय १४३
यह गति दीख्यो जव क्षत्रिनकै बोले तुरत बनाफरराय ।।
सय्यद चाचा तुम बतलावो कहँपर हटि कनौजीराय १४४
जो कछु ह्वैहै लाखनि जियका सबके मूड़ लेव कटवाय ।।
इतना सुनिकै सय्यद बोले मानो कही बनाफरराय १५५
तीनिसै हाथी के हलकामा अकसर परे कनौजी जाय ।।
प्राण आपने लय हम भागे मानो कही बनाफरराय १४६
नहीं आसरा लखराना का तुमते साँच दीन बतलाय ।।
सात लाखलों फौजे लैकै आवा आप पिथौराराय १४७
शब्द पायकै हनै निशाना त्यहिते कौन आसराभाय ।।
सुनिकै बातैं ये सय्यद की ऊदन गये सनाकाखाय १४८
धनुवाँ बोला तब सय्यद ते चलिये फेरि समरको भाय ।।
हमका तुमका जयचँदराजा सौंपा रहै कनौजीराय १४९
सम्मुख जातै महराजा के सय्यद जियत मौत ह्वैजाय ।
इतना सुनिकै सय्यद लौटे मुर्चा गहा तडाका आय१५०
धनुवाँ आयो फिरि मुर्चा मा औरौ शूर गये सब आय ।।
तीनिसै हाथीके हलका मा पहुँचा तुरत बनाफरराय १५१
सवैया॥
लाखनि खोज करैं बघऊदन नाहिं मिलय कहुँ ठौर ठिकाना ।
कूदत फॉदत मारत धावत आवत डंक वजाय निशाना ॥