पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५१०

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नदीवेतवाकासमर । ५०६ पाछे भूरी लखराना की आगे दिल्ली राजकुमार १७५ घाट बयालिस तेरह घाटी सब दल भाग पिथोरा क्यार। जहँ पर तम्बू पृथीराज का पहुँचाकनउजकासरदार १७६ उतरिके हथिनी ते भुइँ आवा ' तम्बू तुरत दीन गड़वाय ।। यहु महराजा दिल्लीवाला तहते कूचदीन करवाय १७७ बहुतक घोड़ा पृथीराज के लूटे तहाँ लूटे तहाँ बनाफरेराय ।। बाकी तम्बू जे पिरथी के लाखनिआगिदीनलगवाय९७८ जितनी फौजें लखराना की चन्दन बाग पहूँचीं आय ॥ दिल्ली पहुंचे दिल्ली वाले धावन गयो बेतवाधाय १७६ आल्हा ठाकुर के तम्बू मा धावन खबरि जनाई जाय ॥ सुनिकै बातें मुख धावन की आल्हा कूचदीन करवाय १८० वाजत डंका अहतंका के चन्दन बाग पहूँचे आय ॥ यकदिशि तम्बू है आल्हा का दुसरी तरफ कनौजीराय १८१ चाज डंका अहतंका के हाहाकार शब्द गा छाय॥ गा हरिकारा मोहवेवाला बेठे जहाँ चंदेलेराय १८२ खबरि सुनाई सब पिस्थी की जाविधि कूचदीन करवाय ।। जैसे आये चन्दन बगिया दूनों भाय बनाफरराय १८३ करणी वरपी सब लाखनि कै धावन बार बार शिरनाय ।। मुनी वीरता लखराना की भे मन खुशी बँदेलेराय १८४ ब्रह्मा ठाकुर को बुलवायो औ सबहाल कह्यो समुझाय ॥ तुरत महोत्रा को सजवावो देखन अब कनौजीराय १८५ सुनिक बातें ब्रह्मा ठाकुर लीन्यो कोतवाल बुलवाय ।। कहि समुझायो कोतवाल को मोहवा तुरत देउसजवाय १८६ इतना कहिके ब्रह्मा चलिमे मल्दना महल पहुँचे जाय ।।