पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५११

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आल्हखण्ड । ५१० कही वीरता लखराना की ब्रह्मा वार वार तहँ गाय १८७ चन्दन बगिया डेरा परिगा पिरथी कृच दीन करवाय ।। इतना सुनिकै रानी मल्हना तुरतै दीन्योहुकुमलगाय१८८ सजो मोहोवा चौगिर्दा ते हाटक नये करी तय्यार॥ हुकुम पायके गहरानी का मोहवासजनलागत्यहिवार१८६ पुती दिवालै गइँ केसरि ते चमचम्चमकिचमकिरहिजाय।। दार द्वार में चन्दन वारे घरघर रहे पताका छाय १६० को गति वरणे पुरवासिन के द्वारे कलश दीन धरवाय ।। घृतसों पूरित दीपक बारे सुन्दरिगीत रही सवगाय१६१ सजी बजारै गलियारन मा माली चैठ ठह के उद्द।। चलें कदमपर कहुँ कहुँ घोड़ा कहुँकहुँचलें चालसरपट्ट १६२ उट्ट लागि गे तम्मोलिन के जाहिर पान मोहोवे क्यार ।। सतर सराफाकी बैठी है सोहैं माँति भाँति के हार १६३ कौन बजाजा कै गति बरणे भाला वरछिन केरि बजार ।। गमला विरवन के गलियनमा जिनमाछोटि वृक्ष महार १६४ फूले बेला अलबेला कहुँ मेला लाग चमेलिन क्यार ।। रेला आवें कहुँ नारिन के गार्दै गीत मंगलाचार १६५ वारह रानी चंदेले की तिनके महल सजे त्यहिबार ।। धरे खिलौना हैं ताखन मा पाखनवेलि बूट अधिकार १६६ सोने चांदी के जेवर को रानी करतफिर झनकार ॥ को गति बरणे महरानिन के सोलोकीन तहाँ श्रृंगार १६७ हाट बाट चौहाटा सजिगे बोले त रजापरिमाल॥ चलिके लइये जगनायक जी बेटा रतीमानको लाल १६८ इतना कहिकै परिमालिक जी पलकी उपर भये असबार। .