पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५१२

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नदीबेतवाकासमर । ५११ ब्रह्मा चढ़िके हरनागर पर तुरतै भयो तहाँ तैयार १६६ मैने सजिगां परिमालिक का तब फिरि कूचदीन करवाय ।। जहँ पर तम्बू लखराना का तहपर गये बँदेलेराय २०० आवत दीख्यो परिमालिक को लाखनि उठे तड़ाका धाय ॥ पकरिके बाहू लखराना की औछातीमा लीन लगाय २०१ बैठे तम्बू मा परिमालिक आये दऊ बनाफरराय ।। मिलाभेंट करि सव काहुन सों सबहिनकूच दीन करवाय २०२ चला कनौजी चढ़ि भूरी पर इन्दल पपिहा पर असवार ॥ घोड़ मनोहर पर देवा चदि बेदुल उदयसिंह सरदार २०३ हिरसिंह विरसिंह बिरिया वाले येऊ साथ भये तय्यार। सिंहा ठाकुर परहुल वाला गंगा कुड़हरिका सरदार २०४ मीरा सय्यद वनरस वाले औरौ नृपति चले त्यहिबार ।। ठाढ़ो हाथी पचशब्दा था आल्हा तापर भये सवार २०५ द्यावलि सुनवाँ फुलवा तीनों डोलन उपर भई असवार।। डोला चलिभा चितरेखा का मोहवालखनलागिसरदार २०६ नौनी गलियन जाय कनौजी तौनी. देखें नई बहार ॥ चलें पिचका क्यहुगलियन मा कहुँकहुँहोयफुलनकीमार २०७ कहुँ कहुँ ढोलक सारंगीधनि कहुँ कहुँ बाजै खूब सितार॥ तबलागमके क्य हुगलियनमा होवै नात्र पतुरियनक्यार २०८ परे पाँवड़े द्वारे मा महलन गणी करें उजियार ।। कबूतर क्यहु महलन ते हो नाच मुरैलन क्यार २०६ पिंजरा टाँगे ललमुनियन के चकस गड़े बुलवुलन केर ।। सुवा पहाड़ी कहुँ पिंजरन में कहुँ कहूँ तीतर और बटेर २१० को गति बाणे त्यहि समयाकै चक्रित लखें चहूदिशि हेर