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पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५१४

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नदीबेतवाकासमर । ५१३

जूझिगे ठाकुर सिरसा वाले तबहूं खबरि आपनहिंलीन२२३
खबरि जो पावत मलखाने की दिल्ली शहर देत फुकवाय ।।
चढ़िकै मारत हम पिरथी का साँची सुनो चँदेलेराय २२४
द्यावलि विरमा सम माता ना ना जग भायसरिस मलखान।।
ब्रह्मा ठाकुर के ब्याहे मा हाथी द्वार पछारा ज्वान २२५
पहिलि लड़ाई भै माड़ौगढ़ दूसर नैनागढ़ मैदान ।
तिसरि लड़ाई भै पथरीगढ़ ब्याहे गये तहाँ मलखान २२६
चौथि लड़ाई भै दिल्ली मा पाँचो नरवर का मैदान ।।
इन्दल ब्याह हरण छठयें मा तहँपर भयो घोर घमसान २२७
सतों लड़ाई भै बौरीगढ़ आठो बूँदी का मैदान ।।
नव दश बार लड़े रण नाहर तब मरिगये बीर मलखान२२८
भुजा टूटिगै इक आल्हा की ह्वैगा बली बीर चौहान ।।
स्वपना ह्वैगा अब दुनिया मा हमका आजु बीरमलखान२२९
यहु दुख पावा तुम्हरी दिशि ते मानो साँच चँदेलेराय ॥
सवन चिरैया ना घर छोंड़ै नाबनिजरा बणिजकोजाय२३०
मोहिं निकारा तब मोहवे ते तुम्हरो काह बिगारा भाय ।।
जयत मोहोबे हम आइत ना जो ना चढ़त पिथौरा धाय २३१
वाल्यो पोष्यो लरिकाई ते ताते लाज दीन बिसराय ।।
दूध पियायो मल्हना रानी तबयहुजिया लरहुवाभाय २३२
अससमुझायो मोहिं माता जब तब सब क्रोध दीन बिसराय ॥
सुनिकै बातैं ये आल्हा की कायल भये चँदेलेराय २३३
तबै बनाफर उदयसिंह जी बोले हाथ जोरि शिरनाय ॥
मुखसों सोवो अब मोहवे मा करिहै काह पिथौराराय २३४
जो कछु ह्वैगा पाछे परिगा अब आगे का करो विचार ।।