पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५२०

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३ उदयसिंहकाहरण ५१६ बाजें डंका अहतंका के हाहाकार शब्द गा छाय ११ आठ रोजकी मैजलि करिकै पहुँचा तहाँ बनाफरराय ।। तम्बू गड़िगा तहँ ऊदन का भारी ध्वजा रहा फहराय १२ सुभिया बेडिनि मुन्नागढ़ ते पहुँची स्वऊ बिठूरै जाय ॥ करै तमाशा सो तम्बुन में पावै द्रव्य तहाँ अधिकाय १३ जहॅपर तम्बू था ऊदन का - सुभिया तहाँ पहुँची पाय ।। रूप देखिकै बघऊदन का दीन्ह्यो नाच रंग बिसराय १४ कलु नहिं भावै मुभियामनमा ठगिनी भई तहाँपर आय। । औरी नटिनी सँग जे आई तिनका नाच दीनकखाय १५ अपना बैठे तहँ सोचति है कैसे मिलें बनाफरराय ।। जादू डोरें जो ऊदन पर तबहुनकाजसिद्धदिखलाय १६ जाहिर जादू मा सुनवाँ है हमरे जाय प्राण पर आय ॥ मनमा शोचे मनै बिसूरै मनमा बार बार पछिताय १७ डारि मोहनी दी लश्कर मा जेवर डिब्बा लीन उठाय ।। दीन रुपैया ऊदन ठाकुर नटिनिन कूचदीन करवाय १८ चढ़ीं पालकी सुनवाँ फुलवा गंगा उपर पहूँचीं जाय ॥ मज्जन कीन्ह्यो उदयसिंह तहँ विपनदानदीन अधिकाय १९ मज्जन कीन्ह्यो जगनायक जी प्रातःकृत्य कीन हाय ।। दान मान दै सब विपन को सबहिन कूचदीनकरवाय २० लखा तमाशा औ मेला खुब तम्बुन फेरि पहूँचे आय ॥ लश्कर कूच दीन करवाय २१ हाहाकार शब्द गे छाय।। अस्त दिवाकर जब पश्चिम में तम्बू दीन तहाँ गड़वाय २२ उत्तम नदिया हें यमुनाजी उतरे जहाँ वनाफरराय ।। उखरि ग तम्बू फिरि ऊदन का वाजें डंका अहतका के