बाजैं डंका अहतंका के हाहाकार शब्द गा छाय ११
आठ रोजकी मैजलि करिकै पहुँचा तहाँ बनाफरराय ।।
तम्बू गड़िगा तहँ ऊदन का भारी ध्वजा रहा फहराय १२
सुभिया बेड़िनि झुन्नागढ़ ते पहुँची स्वऊ बिठूरै जाय ॥
करै तमाशा सो तम्बुन में पावै द्रव्य तहाँ अधिकाय १३
जहँपर तम्बू था ऊदन का सुभिया तहाँ पहुँची आय ।।
रूप देखिकै बघऊदन का दीन्ह्यो नाच रंग बिसराय १४
कछु नहिं भावै मुभियामनमा ठगिनी भई तहाँपर आय। ।
औरी नटिनी सँग जे आई तिनका नाच दीनकरवाय १५
अपना बैठे तहँ सोचति है कैसे मिलैं बनाफरराय ।।
जादू डारैं जो ऊदन पर तबहुँनकाजसिद्धदिखलाय १६
जाहिर जादू मा सुनवाँ है हमरे जाय प्राण पर आय ॥
मनमा शोचै मनै बिसूरै मनमा बार बार पछिताय १७
डारि मोहनी दी लश्कर मा जेवर डिब्बा लीन उठाय ।।
दीन रुपैया ऊदन ठाकुर नटिनिन कूचदीन करवाय १८
चढ़ीं पालकी सुनवाँ फुलवा गंगा उपर पहूँचीं जाय ॥
मज्जन कीन्ह्यो उदयसिंह तहँ विप्रनदानदीन अधिकाय १९
मज्जन कीन्ह्यो जगनायक जी प्रातःकृत्य कीन हाय ।।
दान मान दै सब विपन को सबहिन कूचदीनकरवाय २०
लखा तमाशा औ मेला खुब तम्बुन फेरि पहूँचे आय ॥
उखरि ग तम्बू फिरि ऊदन का लश्कर कूच दीन करवाय २१
बाजैं डंका अहतका के हाहाकार शब्द गे छाय।।
अस्त दिवाकर जब पश्चिम में तम्बू दीन तहाँ गड़वाय २२
उत्तम नदिया हें यमुनाजी उतरे जहाँ वनाफरराय ।।
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उदयसिंह का हरण ५१६
