बेबश ह्वैकै पिंजरा आयन ताते छूटिगयो सब मान ५९
पढ़ैं फारसी हम बिद्या ना अपनो धर्म करैं प्रतिपाल ।।
नित प्रति ध्यावैं रघुनन्दन को पूरणब्रह्म सुरासुर पाल ६०
खाल न रहै जो देहीमा केवल प्राण करैं विश्राम ॥
तबहूँ मुख सों ऊदन ठाकुर कबहुँ न लेयँ खुदाको नाम ६१
निर्भय बातैं सुनि ऊदन की बरगद डार दीन टँगवाय ।।
बहुतक बाँसन हनि हनि मारा ऊदन जपो खुदाय खुदाय ६२
सुनिकै बातैं ये सुभिया की बोला फेरि बनाफरराय ॥
ऊदन ब्याहै नहिं बेड़िनि को कबहूँ राम नाम बिसराय ६३
बात न दूसरि हम अब कहिवे चहु तन धजीधजीउड़िजाय ।।
ऊदन ब्याहै नहिं बेड़िनि को कबहूँ राम नाम बिसराय ६४
सुनिकै बातैं उदयसिंह की तुरतै सुवना लीन बनाय ।।
डारिकै पिंजरामा ऊदन का टाँगा फेरि बरगदा आय ६५
देखि दुर्दशा यह ऊदन की सुनवॉ बार बार पछिताय ।।
डारि मशान दियो सुनवाँ ने पाछे पिंजरा लीन उठाय ६६
लैकै पिंजरा कछु दूरी मा सुनवाँ गई तड़ाका धाय ।।
सुवना लैकै फिरि पिंजरा ते मानुष तुरतै दीन बनाय ६७
सुनवाँ बोली फिरि ऊदन ते क्यों नहिं देवर जपो खुदाय ॥
काहे बिलमें तुम बेड़िनि में नित प्रति सहौ बाँसके घाय६८
चलिये देवर अब मोहबे को तुम्हरी बार बार बलिजायँ ।।
सुनिकै बातैं ये सुनवाँ की बोले फेरि बनाफर राय ६९
चोरी चोरा ना हम जैहैं तुमते साँच देय बतलाय ।।
लैकै फौजै दादा आवैं हमरी कैद लेयँ छुड़वाय ७०
ऐसे ऊदन अब जैहैं ना नित प्रति सहैं बाँसके घाय ।।
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उदयसिंह का हरण । ५२३
