पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५२६

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उदयसिंहकाहरण । ५२५ इतना सुनिक सुभिया बेड़िनि तुरतै उठी तडाका धाय ८३ सहुवा वीरन को बुलवावा औ सब हाल दीन बतलाय ॥ करो तयारी समरभूमि की आये लड़न बनाफरराय ८४ खबरि फैलिगै यह बेड़ियन-मा हँगे डेढ़ सहस तय्यार ।। झीलम बखतर सबहिन पहिरा सबहिनबाँधिलीन हथियार-५ कोउकोउबेड़ियाचदिहाथिनमा कोउ कोउ घोड़भये असवार ।। बहुतक बेड़िया हैं पैदल मा लीन्हे हाथ ढाल तलवार ८६ गड़िगा तम्बू ह्याँ आल्हा का भारी वजा रहा फहराय ॥ चाजै डंका अहतंका का हाहाकार शब्दका छाय ८७ देवा ऊदन इन्दल ठाकुर तीनों भये बेगि तय्यार ॥ हथी चढ़ेया हाथिन चदिगे बाँके घोड़न मे असवार ८८ दुहुँ दल तुरतै इकठौरी भे लागी चलन तहाँ तलवार ।। कहुँ कहुँ भाला कहुँ कहुँ बरछी कहुँ कहुँ मारै ज्यान कटार ८६ कटि भुजदण्डै गिरे खेत में उठि उठि रुण्ड करें तलवार । मुण्डन केरे मुड़चौरा मे · औ रुण्डन के लगे पहार ६० मारे मारे तलवारिन के नदिया बही रक्त की धार । ना मुहँ फेरै मोहवे वाले नादलबेड़ियनकात्यहिबार ६१ बड़े लड़या ई वेड़िया हैं इनते हारिगयी तलवार ॥ को गति वरणे तहँ इन्दल के सबदिशिकरै भड़ाभड़मार६२ जादुन दऊ बड़ी हुशियार॥ आनी पानी भर आँधी की पुरियन होय तहाँपर मार ६३ क्षत्री गरू करें ललकार ॥ मुनयाँ सुमिया के बरणी में चले मिराती रपमण्डल मा कबालपकनिविजलीचमकनि तड़पै चहुँदिशा तलवार ६५ पत्री गाजे का बाजें छाजें तहाँ शूर सरदार ॥