जो कोउ भागतहै सम्मुख ते त्यहिना हनैं बनाफरराय १०७
मारे मारे तलवारिन ते बिड़िया चिरिया करै निदान ।।
खेत छूटिगा सव बिड़ियन ते जीता उदयसिंह मैदान १०८
बाजे डंका अहतंका के ह्वैगा घोर शोर घमसान ।।
जितने क्षत्री मोहबेवाले डेरन आय गये ते ज्वान १०९
चील्ह रूप ह्वै सुनवाँ रानी महलन आयगयी ततकाल ।।
कूच करायो फिरि लश्कर को बेटा देशराज के लाल ११०
आल्हा ठाकुर पचशब्दा पर इन्दल पपिहा पर असवार ॥
घोड़ बेंदुला पर ऊदन है कम्मर परी नाँगि तलवार १११
यहु अलबेला भीषम वाला देवा मैनपुरी चौहान ।।
घोड़ मनोहर पर सोहत हैं रण मा बड़ा लड़ैया ज्वान ११२
कैयो दिनकी मैजलि करिकै झुन्नागढ़ै पहूँचे आय ॥
गड़िगा तम्बू तहँ आल्हा का भारी ध्वजा रहा फहराय ११३
ढोल नगारा तुरही बाजीं हाहाकार शब्दगा छाय ॥
गा हरिकारा तब झुन्नागढ़ राजै खबरि जनावा जाय ११४
आल्हा ऊदन मोहबे वाले धूरे परे हमारे आय ॥
आवैं फौजें झारखण्ड ते अवतो नगर मोहोबे जायँ ११५
सुनिकै बातैं हरिकारा की पलकी तुरत लीन मँगवाय ॥
हइशत मुहरैं इक हीरालै पलकी चढ़ा तड़ाकाधाय ११६
जहाँ बनाफर आल्हा ठाकुर राजा तहाँ पहूँचा आय ।।
आदर करिकै आल्हा ठाकुर अपने पास लीन बैठाय ११७
डारि अशर्फी दी सम्मुखमा हीरा हाथ दीन पकराय ॥
सबियाँ गाथा तब ऊदन की आल्हा यथातथ्यगे गाय ११८
बड़े प्रेम सों दोऊ ठाकुर बोलैं प्रीति रीति के भाय ।।
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उदयसिंह का हरण । ५२७
