पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५२८

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उदयसिंहकाहरण । ५२७. जो कोउ भागतहे सम्मुख ते त्यहिना हनें बनाफरराय १०७ मारे मारे तलवारिन ते विड़िया चिरियाक” निदान ।। खेत छूटिगा सव विड़ियन ते जीता उदयसिंह मैदान १०८ चाजे डंका अहतका के द्वैगा घोर शोर घमसान। जितने क्षत्री मोहवेवाले डेरन आयगये ते ज्यान १०६ चील्ह रूप है सुनवाँ रानी महलन आयगयी ततकाल ।। कूच करायो फिरि लश्कर को वेटा देशराज के लाल ११० आल्हा ठाकुर पचशब्दा पर इन्दल पपिहापर असवार ॥ घोड़ बेंदुला पर ऊदन है कम्मरपरी नॉगि तलवार १११ यह अलबेला भीषमवाला देवा मैनपुरी चौहान ।। घोड़ मनोहर पर सोहतहै रणमा बड़ालड़ेयाज्वान ११२ कयो दिनकी मैजलि करिकै मुन्नागढ़े पहूँचे आय ॥ गड़िगा तम्बू तह आल्हा का भारी ध्वजारहा फहराय ११३ दोल नगारा तुरही बाजीं हाहाकार शब्दगा छाय॥ गा इस्किारा तव अन्नागढ़ राजै खबरिजनावा जाय ११४ आल्हा ऊदन मोहने वाले धूरे परे हमारे आय ॥ श्रा फौजें झारखण्ड ते अवतो नगर मोहोवेजायँ ११५ सुनिक वाते हरिकारा की पलकी तुरत लीन मँगवाय ॥ इइशत मुहर इक हीराले पलकी चढ़ा तड़ाकाधाय ११६ राजा तहाँ पहूँचा आय ।। आदर करिक आल्हा ठाकुर अपने पास लीन बैठाय ११७ हीरा हाथ दीन पकराय ॥ आल्हा यथातथ्यगे गाय ११८ परे प्रेम सों दोऊ ठाकुर चोलें प्रीति रीति के भाय ।। जहाँ बनाफर आल्हा ठाकुर रारि भशर्फी दी सम्मुखमा सवियाँ गाया तव ऊदन की