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पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५३२

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बेला के गौने का प्रथम युद्ध । ५३१

माहिल बोले तब ब्रह्मा ते ठाकुर काह धरावो नाम ।।
पान चबावो तुम दिल्ली का नाहीं उदयसिंह का काम १०
जाति कुलीने नहिं ऊदन हैं नहिं विश्वासयोग यहिकाल॥
इन्हैं निकारयो परिमालिक है खोंटे देशराज के लाल ११
मतलब इन ते जो रहिहै ना पिरथी करी बहुत सनमान ।।
अगुवाकारी होयँ बनाफर तौ सब लड़ैं बीर चौहान १२
पान चबावो तुम जल्दी सों देवे बिदा तुरत करवाय ।।
इतना सुनिकै ब्रह्मा चलिभे पहुँचे पाननिकट फिरिआय १३
लैकै बीरा तहँ ऊदनते ब्रह्मा गये तड़ाकाखाय ॥
आल्हा मनमा कायल ह्वैगा ऊदन बहुत गये शरमाय १४
दूनों भाई चले तड़ाका दशहरि पुरै पहूँचे आय ॥
आल्हा बोले तहँ ऊदन ते यह गति भई लहुरवा भाय १५
बड़ बड़ राजन के सम्मुख मा ब्रह्मा लीन्ह्यो पान छिनाय ।।
घटिहा राजा मोहबे वाला कैसी हँसी दीन करवाय १६
तुम नहिं मोहबे ऊदन जावो हटका रहै लहुरवाभाय ।।
कहा हमारा तुम माना ना ताका पायगयो फलआय १७
इतना कहिकै आल्हा ठाकुर सोये बिकट नींद को पाय॥
कछू दिनौना के बीते मा गौना समय पहूँचा आय १८-
मल्हना निश्चय तब ठहरायो जैहैं नहीं बनाफरराय ॥
बिना बनाफर उदयसिंह के लेहै कौन बिदा करवाय १९
यहै सोचिकै मल्हना रानी लाखनिराना लीन बुलाय ॥
आल्हा उदन द्वउ रूठे हैं जानो आप कनौजीराय २०
हैं दिन चाकी नहिं गौना के याकी कौन करी तदबीर ॥
जब सुधि आवै इन बातन की तबहीं होय करेजे पीर २१