पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५३३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

भाल्हखण्ड । ५३२ माश हमारी अब तुमहीं लग साँची सुनो कनोजीराय ।। तुम जो जावो ब्रह्मा सँग मा तो सबकाम सिद्धिदैजाय २२ सुनिक बातें ये मल्हना की बोले फेरि कनौजीराय ॥ हम चलिजैबे ब्रह्मा सँग मा लेबे विदा. मातु करवाय २३ इतना कहिकै लाखनि चलिमे अपनी फौज पहूँचे आय ॥ बाजा डका इत ब्रह्मा का हाहाकार शब्द गा छाय २४ उतै कनौजी लाखनिराना अपनी फौज लीन सजवाय ॥ यह सुधि पाई उदयसिंह जब आये तबै तड़ाकाधाय २५ औ यह बोले लखराना ते मानो कही कनौजीराय ।। साथी हमरे की ब्रह्मा के जोतुगफौजलीनसजवाय २६ पहिले लड़िके हमरे सँगमा पाछे धरचो अगारी पॉय ।। इतना सुनिकै सय्यद बोले तुम सुनिलेउ कनौजीराय २७ संग न जावो तुम ब्रह्मा के समान यहै ठीक ठहराय ।। करो लड़ाई तुम ऊदन ते तो सब जैहैं कान नशाय २८ हितू तुम्हारे नहिं ब्रह्मा हैं जैसे हितू बनाफरराय ।। कहा मानिके यह सय्यद का लाखनि फेंटदीनखु नवाय २६ भई अठारह उई वाले मोहवे अये तड़ाकाध य॥ पड़ बड़ शूरन को सँग लेके ब्रह्मा कूच दीन करवाय ३० सात दिनौना के अरसा माँ दिल्ली गये चंदेलेराय ।। दिल्ली करे फिरि डॉड़े गा लश्कर ब्रह्मा दीन डाय ३१ गड़िगा तम्बू तहें ब्रह्मा का भारी ध्वजा रहा फहराय ।। माहिल पहुँचे फिरि दिल्ली मा जहँ पर बैठ पिथौराराय ३२ बड़ी खातिरी पिरथी कीन्ही अपने पास लीन बैठाय ।। काहे आये उरई वाले आपन हाल देउ बतलाय ३३'