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पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५३४

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बेला के गौने का प्रथम युद्ध । ५३३

इतना सुनिकै माहिल बोले मानो साँच पिथोराराय॥
ब्रह्मा आये हैं गौने को फौजै परी डाँड़ पर आय ३४
पहिले बीरा ऊदन लीन्ह्यो सो ब्रह्मा ने लीन छिनाय ॥
अब मन तुम्हरे जैसी आवै तैसी कहो पिथोराराय ३५
इतना सुनिकै पिरथी बोले माहिल साँच देयँ बतलाय ।।
बिना लड़ाई के गौना कहु कैसे देयँ पिथौरा राय ३६
करैं लड़ाई अब सँभराभरि पाछे बिदा लेयँ करवाय ।।
यह कहि दीजो तुम ब्रह्मा ते माहिल बार बार समुझाय ३७
इतना सुनिकै ब्रह्मानँद ते माहिल खबरि जनाई आय ॥
बिना लड़ाई के मनिहै ना यहु महराज पिथौराराय ३८
इतना सुनिकै ब्रह्मा ठाकुर कागज कलमदान मँगवाय ।।
लिखिकै चिट्ठी दी धावन को धावन चला तड़ाका धाय ३९
जहाँ कचहरी पृथीराज की धावन अटा तड़ाका आय ।।
हाथ जोरिकै धावन तुरतै चिट्ठी तहाँ दीन पकराय ४०
बॉचत चिट्ठी ब्रह्मानँद की पिरथी क्रोध दीन अधिकाय ।।
शूर चौड़िया को बुलवायो औ सब हाल कह्यो समुझाय ४१
तुरतै डंका को बजवावो सबियाँ फौज लेउ सजवाय ।।
बाँधि जँजीरन तुम ब्रह्मा का हमका बेगि दिखावो आय ४२
हुकुम पिथौरा का पावनखन डंका तुरत दीन बजाय ।।
बाजे डंका अहतंका के हाहाकार शब्द गा छाय ४३
सजि सजि तोपैं खेतन चलिभई हाथिन होन लागि असवार ।।
झीलम बखतर पहिरि सिपाहिन हाथ म लई ढाल तलवार ४४
दुइ दुइ भाला इक इक बस्छी कोउ कोउ बाँधी तीनकटार ।।
तीर तमंचा कड़बीन औ गदकागुर्ज लीन त्यहिबार ४५