पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५४०

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बेलाकेगोनेकाप्रथमयुद्ध । ५३६ मलाअनभल जबजसहोवय ' तव तस बुद्धि जाय बोराय ।। सुनान हन्ना क्यहु सुवरण का नाक्यहुदीखनैनसोजाय १०६ रचा विधाता नहिं कबहूंथा मारन हेतु गये रघुराय ॥ यह भनहोनी हम दिखलाई सोचोसदास्वजनजनभाय१०७ होनहार - वश ब्रह्मा ढके डोला निकटगये नगचाय ॥ तवहीं चौड़ा उठि पलकी ते बाये दीन कटारीघाय १०८ दहिने सांगहनी धाँधू ने ताहर माखो तीरचलाय ।। तीनों घायपरे ब्रह्मा के तुरतै गिरे मूर्छाखाय १०९ यह गति दीखी जब ब्रह्मा की रोवनलागि मोहबियाज्यान ॥ तबललकाखो जगनायकजी होवो खड़े समर चौहान ११० दगाते मास्यो तुम ब्रह्माको हमरे साथ करो तलवार । सबका डरों जानसों मार १११ तो तो मैने चंदेले का नहिं ई डारों मुच्छ मुड़ाय ॥ सुनिक वातै जगनायक की ताहर कूच दीन करवाय ११२ ताहर नाहर के जातैखन जगना अटा तहाँ पर जाय । मुछित दीख्यो ब्रह्मानंदको पलकी उपर दीन पौढ़ाय ११३ लेकै पलकी जगनायक जी तम्बुन फेरि पहूँचेआय ॥ जागी मुर्छा तहँ ब्रह्मा की बोले तुरत चंदेलेराय ११४ कूच करायोनहि लश्कर को मोहवे खबरि देउ पठवाय ॥ सनिकै बाने ये ब्रह्मा की धावन तुरतलीनबुलवाय ११५ कदी हकीकति सब धावन ते तुरतै चला शीशकोनाय ।। धावन तहाँ पहूँचामाय ११६ जियत नजाई कउ दिल्ली का जहाँ कचहरी परिमालिक की कही हकीकति महराजाते तुरतै गिरे पछाराखाय ।। बीची काट्यो या ने मानोडसा भुजंगम आय ११७