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पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५४२

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बेला के गौने का प्रथम युद्ध । ५४९

आल्हा ऊदन इन्दल तीनों लागे बैठि तहाॅ पचिताय ।।
द्यावलि सुनवाँ फुलवा तीनों सुनतै गिरीं पछाराखाय १३०
बड़ी दुर्दशा त्यहि समया कै हमरे बूत कही ना जाय ।।
रानी मल्हना के महलन मा सब दुखउतरा गाय बजाय १३१
फिरि फिरि रानी रोदन ठानैं सखियाँ रहीं तहाँ समुझाय ।।
माहिल भूपति द्वउ मरिजावैं उरई गिरै गाज अरराय १३२
जिनकी चुगुलिन ते महलनमा यहु दुःख परा आज दिन आय ॥
मरै पिथौरा दिल्लीवाला जो यहु पूत डरा मरवायं १३३
होय निपूती रानी अगमा सोऊ महल बैठि पछिताय ॥
इतना कहिकै रानी मल्हना फिरि फिरि बार बार पछिताय १३४
ताहर नाहर गा दिल्ली मा राजै खबरि जनाई जाय ।।
बात फेलिगै सब दिल्ली मा औ रनि‌ वास पहूंची आय १३५
खबरि पायकै रानी अगमा महलन गिरी पछारा खाय ।।
कन्त जूझिगे रण खेतन मा बेला सुना तहाँपर आय १३६
चहु पछितानी मन अपने मा भूषण बसन दीन छिरकाय ।।
कहा न मानै तहँ काहू का बेला गिरै परै बिलखाय १३७
औ गरिआवै बेला रानी चौड़ा बंश नाशि ह्वैजाय ।।
बने जनाना तू दिल्ली मा ओदहिजार भवानी खाय १३८
नाहक जन्मी घाँघू मैया दैया गती कही ना जाय ॥
नहिं रजपूती कछु ताहर मा धोखे हना तीरका घाय १३९
इतना कहिकै बेला रानी तुरतै उठी तड़ाका धाय ॥
महल छोड़ि के महतारीका पहुँची और महलमें जाय १४०
मधम युद्ध भा जो गौने मा सो हम सबै गये अवगाय ॥
आशिर्वाद देउँ मुन्शी सुत जीवो प्राग नरायण भाय १४१