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अथ आल्हखण्ड ॥
बेला के गौने की दूसरी लड़ाई में रानालाखनिसिंह
तथा उदयसिंह जी की चढ़ाई का वर्णन ॥
सवैया ॥
हे विधि दे बरदान यही पद पंकज ईश सदा हम ध्यावैं ।
होवैं जहाँ जलहू थल में रघुनन्दन को तहँ शीशनवावैं ॥
और न काम कछु हमको इक राम को नाम नितै हम गावैं ।
याँच यही ललिते कर साँच मिलैं रघुनाथ तबै सुखपावैं १
सुमिरन ॥
तुम्हें बिधाता हम ध्यावतहैं धाता कृपा करौ अब हाल ॥
परम पियारे रघुनन्दनजी जाते दरशदेयँ यहिकाल १
युक्ति बतावो स्वइ धाता तुम जाते मिटै सकल भ्रमजाल ।।
दशरथ नन्दन रघुनन्दन को बन्दन करों सदासबकाल २
चन्दन अक्षत औ पुष्पन सों पूजों शम्भु भवानी लाल ।।
करउ हलाहल भल सोहत है सोहै बाल चन्द्रमा भाल ३