पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५४४

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अथ पाल्हखण्ड ॥ बैलाकेगौने की दूमरीलड़ाई में रानालाखनिसिंह तथा उदयसिंहजी की चढ़ाई का वर्णन ॥ सर्वया ॥ हे विधि दे बरदान यही पद पंकज ईश सदा हम ध्यावें । हो। जहाँ जलहू थल में रघुनन्दन को तहँ शीशनवावै ॥ और न काम कळू हमको इक रामको नाम नितै हमगावें। याँच यही ललिते कर साँच मिलें रघुनाथ तबै सुखपाई ? सुमिरन ॥ तुम्हें विधाता हम ध्यावतहैं धाता कृपा करो अब हाल ॥ परम पियारे रघुनन्दनजी जाते दरशदेय यहिकाल ? जाते मिटै सकल भ्रमजाल ।। वन्दन करों सदासबकाल २ चन्दन अक्षत औ पुष्पन सौ पूजो शम्भु भवानी लाल ।। करउ हलाहल भल सोहत है सोहे बाल चन्द्रमा भाल ३ युक्ति वतावो स्वइ धाता तुम दशरथ नन्दन रघुनन्दन को