पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५४८

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चलाकगौनकाद्वितीययुद्ध । ५४७ 2 श्र कारो चाना कार निशाना सबकोउ करें आज सरदार २३ बने गँजरिहा सबदल हमरो दिल्ली हेतु होय तय्यार ।। में अब जावतहौं तहँना पर जहना कनउज के सरदार३४ इतना कहिके ऊदन चलिमे तम्बुन फेरि पहूँचे आय ।। ॥ सम्मत करिके लखराना सों उत्तर पत्र दीन पठवाय ३५ लाखनि ऊदन मिलि आल्हाते फौजै तुरत लीन सजवाय ।। भई तयारी फिरि दिल्ली की लश्कर कूच दीन करवाय ३६ पाँच सात दिन के अरसा मा दिल्ली शहर गये नगच्याय ।। दिल्ली केरे फिरि डाँडेमा परिगे जाय कनौजीराय ३७ चौड़ा कशी त्यहि समयामा तम्बुन पास पहूँचा आय ॥ मिले वनाफर तहँ ऊदन जब पूँछन लाग चौडियाराय ३८. कहाँ ते आयो ओ कह जैहो आपन हाल देउ बतलाय ।। मुनिकै बात ये चौड़ा की बोला तुरत बनाफरराय ३९ हिरसिंह बिरसिंह हम विरियाके गाँजर देश हमारो जान ।। सुनी नौकरी घर बेलाके श्रायनकरन स्वईहमज्वान ४० इतना सुनिकै चौड़ा बोला ठाकर बचन करो परमान । काह दरमहा तुम चाहत हो हमते सत्य बतावो ज्वान ४१ हम बतलावे दिल्लीपतिका नौकर तुम्हें देय कवाय ।। करो नौकरी जो औरत की तौ रजपूती धर्म नशाय ४२ इतना सुनिके ऊदन बोले नाहर साँच देय बतलाय ।। एकलाख ते कम नहिं लेवें यहु नितखर्च हमारो आय ४३ देय महीना तीसलाख को ताकी करें नौकरी भाय ।। बारह बरसे हमते लरिकै जयचंद कूचदीनं करवाय ४४ दीन न पैसा हम कनउजका सो यश रहा जगत में छाय