चढ़ा बनाफर उदयसिंह जब हमरी लूट लीन करवाय ४५
तंगी आई जब हमरे घर तब दरबार जुहारा भाय ।।
महिना कमती कछु लेहैं ना तुमते साँच दीन बतलाय ४६
इतना सुनिकै चौंड़ा चलिभा आयो जहाँ पिथौराराय ।।
खबरि गँजरिहन की बतलाई चौंड़ा बार बार समुझाय ४७
खबरि पायकै पिरथी बोले मानो कही चौड़ियाराय ।।
कहाँ खजाना घर इतना है देवैं तीस लाख जो भाय ४८
पारस पत्थर चन्देले घर तिनकी करैं नौकरी जाय ।।
म्वहिं अभिलाषा नहिं नौकर की देवैं तीस लाख जो भाय ४९
इतना सुनिकै चौंड़ा बोला मानो कही पिथौराराय ।।ऊ:
बड़े लडैया गाँजर वाले मोहबा आपु लेउ लुटवाय ५०
दश औं पन्द्रा दिन नौकर करि करिये काज पिथौराराय ।।
फिरि मन भावै महराजा के दीजै सब के नाम कटाय ५१
यह मन भायी पृथीराज के तुरतै हुकुम दीन फरमाय ॥
हुकुम पिथौरा को पावत खन हिरसिंह बिरसिंह लीन बुलाय ५२
लाखनि ऊदन दोऊ आये चेहरा अपन दीन लिखवाय ॥
कीन नौकरी घर पिरथी के क्षत्री गये शहर में आय ५३
हुकुम लागिगा यह पिरथीका हाथी घोड़ा देउ दगाय ।।
सुनिकै बातैं महराजा की लाखनि बहुत दीन समुझाय ५४
लिखी न हिंसा कहुँ बेदन में गीता पाठ कीन अधिकाय ।।
बिनय हमारी यह राजन है यहु मंसूख हुकुम ह्वैजाय ५५
नहीं फायदा कछु याते है ओ महराज पिथौराराय ॥
सुनिकै बातैं ये लाखनि की खारिज हुकुम दीन करवाय ५६
लानि ऊदन देवा सय्यद धनुवाँ यई पाँचहू ज्वान ।।
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आल्हखण्ड । ५४८
