निमक न खावे जो रवि दिनमें एकै बेर करै आहार॥
बंधन छूटैं त्यहि दुनिया के नांघै माया सिंधु अपार ३
सोय के जागै जब कोऊ नर लेवै रोज सूर्य्य के नाम॥
जब मरजावै बहु दुनिया में पावै तुरत सूर्य्य को धाम ४
छुटि सुमिरनी गै सूर्य्यन कै औ ऊदन का सुनो हवाल॥
ऊदन जैहैं गढ़माड़ो को लड़िहैं तहाँ केर नरपाल ५
अथ कथाप्रसंग॥
बरस बारहीं का ऊदन रहै बाँधे सबै ज्वान हथियार॥
माहिल अकुर उरई वाला खेलै ताकी बाग शिकार १
घोड़ बेंदुला तहँ थिरकत भा विषधर उरई के मैदान॥
भारी पनिघट रहै उरई का नारिन दीख सजीला ज्वान २
धीरज छूट्यो तब नारिन के बोलीं एक एक के कान॥
काहू राजाको बालकहै याको रूप दीन भगवान ३
नारी बोलैं अस आपस में तबलग गयो बनाकर आय॥
ऊदन बोल्यो पनिहारिन सों घोड़ै पानी देउ पियाय ४
सुनिकै बातैं बघऊदन की बोली एक नारि रिसिआय॥
कौनदेश के रहवैया हौ आपन नाम देव बतलाय ५
लौंड़ी तुम्हरी हम आहिनना घोड़ै पानी देयँ पियाय॥
माहिलराजा जो सुनि पैहैं लेहैं घोड़ा तुरत छिनाय ६
देश हमारो नगर मोहोवा आल्हा केर लहुस्वाभाय॥
बेटा आहिन देशराज के हमरो नाम उदयसिंहराय ७
यह कहि लीन्हों कर गुलेलको गुल्लन गगरी दीन गिराय॥
जितनी गगरी रहैं पनिघटमाँ सवियाँ गुल्लन दीन नशाय ८
एँड़ा मसक्यो रसबेंदुल के घोड़ा उड़ा हवा सम जाय॥