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पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५५०

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बेला के गौने का द्वितीय युद्ध । ५४९

बेला बेटी के द्वारे की रक्षा करो कह्यो चौहान ५७
हुकुम पाय कै महराजा को पांचो चले शीश को नाय ॥
बेला बेटी के द्वारे पर ह्वैगे द्वारपाल फिरि आय ५८
चौपरि बिछिगै तहँ लाखनि कै खेलन लाग बनाफरराय ।।
चर्चा कीन्ही तहँ बेला की यहु अलबेला लहुरवाभाय ५९
गुप्त बार्ता बाँदी सुनिकै बेलै खबरि जनाई जाय ॥
द्वारपाल गाँजर के आये तुम्हरी कथा रहे ते गाय ६०
इतना सुनिकै बेला बेटी आपै गयी द्वारढिग आय ॥
लाखनि ऊदन की बातैं सुनि जान्यो गये बनाफर आय ६१
रूपा बाँदी ते बोलति भै पूँछो द्वारपाल सों जाय ।।
कहाँ के ठाकुर ये आये हैं आपन हाल देयँ बतलाय ६२
सुनिकै बातैं ये बेला की बाँदी चली तड़ाका धाय ।।
जहाँ बनाफर उदयसिंह हैं बाँदी अटी तहाँपर आय ६३
कही हकीकति सब बेला की बाँदी हाथ जोरि शिरनाय ।।
सुनिकै बातैं त्याही बाँदी की चिट्ठी दीन बनाफरराय ६४
लैकै चिट्ठी बाँदी चलिभै बेलै दीन तडाकाधाय ॥
पढ़ी बनाफर की चिट्ठी जब महलन तुरतलीन बुलवाय ६५
परदा कीन्ह्यो उदयसिंह ते कुरसी अलग दीन डरवाय ।।
गुप्त बार्ता बेला पूछी ऊदन सबै दीन बतलाय ६६
तब विश्वास भई जियरे मा आँहीं ठीक बनाफरराय ।।
तब तो पूँछन बेला लागी साँची कहौ लहुरवाभाय ६७
संग न आये तुम बालम के जूझे खेत चँदेलेराय ।।
कहाँ मंसई तब तुम्हरी गै ऊदन साँच देउ बतलाय ६८
उन बोले तब बेला ते भौजी मोर कीन अपमान ।।