पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५५०

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७ बेलाकेगोनेकादितीययुद्ध । ५४६ बेला चेटी के द्वारे की रक्षा करो कह्यो चौहान ५७ हुकुम पाय के महराजा को पांचो चले शीश को नाय॥ बेला बेटी के द्वारे पर हगे द्वारपाल फिरि आय ५८ चोपरि विछिगै तहँ लाखनि के खेलन लाग बनाफरराय ।। चर्चा कीन्ही तहँ बेला की यहु अलवेला लहुरवाभाय ५६ गुप्त वार्ता बाँदी सुनिक बेले खबरि जनाई जाय ॥ दारपाल गाँजर के आये तुम्हरी कथा रहे ते गाय ६० इतना सुनिकै वेला बेटी आपै गयी द्वारढिग आय ॥ लालनि ऊदन की बातें सुनि जान्यो गये बनाफर आय ६१ रूपा बाँदी ते बोलति भै पूंछो द्वारपाल सों जाय । कहाँ के ठाकुर ये आये हैं . आपन हाल देय बतलाय ६२ सुनिके बातें ये बेला की बाँदी चली तड़ाका धाय । जहाँ बनाफर उदयसिंहहें बाँदी अटी तहाँपर आय ६३ कही हकीकति सब बेला की बाँदी हाथजोरि शिरनाय । सुनिके बातें त्यहि बाँदी की चिट्ठी दीन बनाफरराय ६४ लेके चिट्ठी बाँदी चलिभै बेले दीन तडाकांधाय॥ पढ़ी बनाफर की चिट्ठी जब महलन तुरतलीन बुलवाय ६५ परदा कीन्ह्यो उदयसिंह ते कुरसी अलग दीन डखाय । गुप्त बार्ता बेला पूछी ऊदन सबै दीन बतलाय ६६ तब विश्वास भई जियरे मा आँहीं ठीक बनाफरराय ।। तब तो पूँछन बेला लागी साँची कहाँ लहुरवाभाय ६७ संग न आये तुम बालम के जूझे खेत चंदेलेराय ।। कहाँ मंसई तब तुम्हरी गै ऊदन साँच देउ बतलाय ६८ उन बोले तब बेला ते भौजी मोर कीन अपमान ।।