पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५५२

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सुन्दर सुघर कनौजीराय ८५ बेलाकेगोनेकाद्वितीययुद्ध । ५५१ शब्द कान सुनि तीर चलावें हमरे पिता पिथौराराय ८१ लाखनि ऊदन के गन्ती का हमरी विदा लेय करवाय ।। डोला लाये संयोगिनि का तब कहँ हते कनौजीराय ८२ सोई लाखनि की दूसर हैं हमरी विदा ले करवाय ।। रहे आसरा तुम्हरो जदन सोऊ नहीं पूर दिखलाय ८३ भारी फौजे महराजा की डोला कौन भांति सों जाय ।। यहै अंदेशा है जियरे मा लाखनिराना लेउ बुलाय ८४ हुकुम पायकै यह वेला को बाँदी चली तड़ाका धाय ।। मर्दाना ज्यहिका बाना सो चलिआवा सँग बाँदी के पहुँचा रंग महल में प्राय ।। भावत दीख्यो लखराना को खातिर कीन लहुरखामाय ८६ वैठि कनौजी गे महलन मा बेला बोली बैन सुनाय ।। विदाकरावन तुम कस आये दिल्ली शहर कनौजीराय ५७ तुम्हरे घरते संयोगिनि का लाये दिल्ली के सरदार ॥ त्यही वंश के तुम लाखनि हौ की कहुँअन्तलीन अवतार ८८ सुनिक बातें ये बेला की यहु अलबेला कनौजीराय ।। लाली लाली आँखी करिक दाढ़ी वार दीन बिखराय ८६ एक हाथ धरि तहँ मुच्छन मा नंगी एक हाथ तलवारि ।। लाखनि बोले तो वेलाते कैसी बातें बकै गँवारि ६० काह हकीकत थी पिरथी की विटिया लेत चंदेले केरि ।। विटिया लाये घर चेरी की रानी कहा गँवारिनि देरि ६१ डोला लेउँ आज निकराय ।। तो तो लरिका रतीभान का नहिं ई मुच्छ डरों मुड़वाय ६२ मदन चोले फिरि बेलाते भौजी काह गयी वोराय ॥ त्यहिके बदले कहु अगमा का