शब्द कान सुनि तीर चलावैं हमरे पिता पिथौराराय ८१
लाखनि ऊदन कै गन्ती का हमरी बिदा लेयँ करवाय ।।
डोला लाये संयोगिनि का तब कहँ हते कनौजीराय ८२
सोई लाखनि की दूसर हैं हमरी बिदा लेयँ करवाय ।।
रहे आसरा तुम्हरो जदन सोऊ नहीं पूर दिखलाय ८३
भारी फौजै महराजा की डोला कौन भांति सों जाय ।।
यहै अँदेशा है जियरे मा लाखनिराना लेउ बुलाय ८४
हुकुम पायकै यह बेला को बाँदी चली तड़ाका धाय ।।
है मर्दाना ज्यहिका बाना सुन्दर सुघर कनौजीराय ८५
सो चलिआवा सँग बाँदी के पहुँचा रंग महल में आय ।।
आवत दीख्यो लखराना को खातिर कीन लहुरवाभाय ८६
बैठि कनौजी गे महलन मा बेला बोली बैन सुनाय ।।
विदाकरावन तुम कस आये दिल्ली शहर कनौजीराय ५७
तुम्हरे घरते संयोगिनि का लाये दिल्ली के सरदार ॥
त्यही वंश के तुम लाखनि हौ की कहुँ अन्त लीन अवतार ८८
सुनिकै बातैं ये बेला की यहु अलबेला कनौजीराय ।।
लाली लाली आँखी करिकै दाढ़ी वार दीन बिखराय ८९
एक हाथ धरि तहँ मुच्छन मा नंगी एक हाथ तलवारि ।।
लाखनि बोले तो बेला ते कैसी बातैं बकै गँवारि ९०
काह हकीकत थी पिरथी की बिटिया लेत चँदेले केरि ।।
बिटिया लाये घर चेरी की रानी कहा गँवारिनि देरि ९१
त्यहिके बदले कहु अगमा का डोला लेउँ आज निकराय ।।
तौ तौ लरिका रतीभान का नहिं ई मुच्छ डरों मुड़वाय ९२
ऊदन बोले फिरि बेला ते भौजी काह गयी बौराय ॥
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बेला के गौने का द्वितीय युद्ध । ५५१
