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पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५५३

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आल्हखण्ड । ५५२

दीख मंसई तुम ऊदन की हाथी द्वार पछारा आय ९३
करो तयारी तुम महलन ते बिछुरेकन्त देयँ मिलवाय ।।
इतना सुनिकै बेला बोली मानो कही लहुरवाभाय ९४
चोरी चोरा हम जैहैं ना नेगिन नेगुदेउ चुकवाय ॥
लेउ अधकरी अब ब्याहे की पाछे बिदालेउ करवाय ९५
यह मनभाई लखराना के बोले सुनो बनाफरराय ॥
चारि रुपैयन के तोड़ालै नेगिन नेगु देउ चुकवाय ९६
इतना सुनिकै ऊदन ठाकुर नेगिन तुरत लीन बुलवाय ।।
चारिउ तोड़ा रूपयन वाले तहँ पर तुरत दीन बँटवाय ९७
रानी अगमा के महलन को बेला चली तड़ाकाधाय ।।
देवा ऊदन धनुवाँ सय्यद ये दरवार पहूँचे जाय ९८
द्वारे ड्योढ़ी के महराजा गढ़े ठाढ़े रहैं पिथोराराय॥
सय्यद देवा धनुवाँ सँगमें पहुँचा तहाँ बनाफरराय ९९
गाथनायकै महराजा को बोला सुनो पिथौराराय ॥
नेगु चुकावा हम नेगिन का दायज आप देउ मँगवाय १००
बेला जैहैं अब श्वशुरेको राजन साँच दीन बतलाय ॥
हिरसिंह विरसिंह हम आहिनना हमहैं छोट बनाफरराय १०१
इतना सुनिकै माहिल भूपति बोले सुनो पिथौराराय ।।
बैठक करिये दरवाजे पर दायज उचित देउ मँगवाय १०२
माहिल बोले फिरि चुप्पे से राजन सॉच देय बतलाय ।।
उतरै घोड़ा ते जब ऊदन तुरतै मूड़लेउ कटवाय १०३
यह मन भाई महराजा के बैठक तहाॅ दीन करवाय ॥
बड़े कीमती दुइ कुण्डल को तुरतै तहाॅ दीन रखवाय १०४
कह्यो पिथौरा फिरि उदन ते बैठो आय बनाफरराय ।।