पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५५३

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आल्हखण्ड । ५५२ दीख मंसई तुम ऊदन की हाथी द्वार पछारा आय ६३ करो तयारी तुम महलन ते विछरेकन्त देय मिलवाय ।। इतना सुनिकै बेला बोली मानो कही लहुरवाभाय ६४ चोरी चोरा हम जैहैं ना नेगिन नेगुदेउ चुकवाय ॥ लेउ अधकरी अब ब्याहे की पाछे विदालेउ करवाय ६५ यह मनभाई लखाना के बोले सुनो बनाफरराय ॥ चारि रुपैयन के तोड़ालै नेगिन नेगु देउ चुकवाय ६६ इतना सुनिकै ऊदन ठाकुर नेगिन तुरत लीन वुलवाय ।। चारिउ तोड़ा रूपयन वाले तहँ पर तुरत दीन वटवाय ६७ रानी अगमा के महलन को बेला चली तड़ाकाधाय ।। देवा ऊदन धनुवाँ सय्यद ये दरवार पहूँचे जाय ६८ द्वारे ड्योढ़ी के महराजा गढ़े अड़े रहे रहैं पिथोराराय॥ सय्यद देवा धनुवाँ सँगमें पहुँचा तहाँ बनाफरराय ६६ गाथनायकै महराजा को बोला सुनो पिथौराराय ॥ नेगु चुलावा हम नेगिन का दायज आप देउ मँगवाय१०० देला जैहैं अब श्वशुरेको राजन साँच दीन बतलाय ॥ हिरसिंहविरसिंह हमआहिनना हमह छोट बनाफरराय १०१ इतना सुनिक माहिल भूपति बोले सुनो पिथौराराय ।। बैठक करिये दरवाजे पर दायजउचितदेउमँगवाय १०२ माहिल बोले फिरि चुप्पे से राजन सॉच देय बतलाय ।। उन घोड़ा ते जब ऊदन तुरतै मूडलेउ कटवाय १०३ यह मन भाई महराना के वैठक तहाँ दीन करवाय ॥ पड़े कीमती दुइ कुण्डल को तुरत तहाँ दीन रखवाय १०४ कयो पियारा फिरि उदन ते डो आय बनाफरराय ।।