कारी अलकैं नागिन झलकैं पलकैं मूँदै औ रहिजाय ११७
व्यला भवानी बनि महरानी पलकी चढ़ी तड़ाका धाय ।।
चलिभै पलकी फिरि बेलाकै लाखनिपास पहूँची आय ११८
लैकै पलकी लाखनि राना तुरतै कूच दीन करखाय ।।
सय्यद देवा धनुवाँ लैकै पहुँचा आय बनाफरराय ११६
मठी शारदा की डांड़े पर डोला तहाँ दीन धरवाय ।।
बेला पहुँची तहँ मठिया मा पूजन हेतु शारदामाय १२०
चन्दन अक्षत औ पुष्पन सों बेला पूज्यो मोद बढ़ाय ॥
धूप दीप दी तहँ देवी की मेवा मिश्री भोग लगाय १२१
फुलवा मालिनि ते फिरि बोली ताहर खबरि जनावो जाय ॥
बहिनि तुम्हारी के डोला को लीन्हे जाँय कनौजीराय ९२२
बदला लेहैं संयोगिनि का तुम्हरे जीवेका धिक्कार ॥
जल्दी आवो अब मारग में डोला रोंकि लेउ यहिबार १२३
मालिनि चलिभै तब मठिया ते दिल्ली अटी तड़ाका धाय ।।
खबरि सुनाई सब ताहर को दोऊ हाथ जोरि शिरनाय १२४
सुनिकै बातैं त्यहि मालिनि की ताहर फौज लीन सजवाय ।।
वाजत डंका अहतका के तुरतै कूच दीन करवाय १२५
यहु निरशंका दिल्लीवाला ताहर अटा तड़ाका आय ।।
औ ललकारा लखराना को ठाढ़े होउ कनौजीराय १२६
धरि कै डोला अब बेला का तुरतै कूच देउ करवाय ॥
नही तो बचि हौना कनउज लग जो विधि आप बचावै आय १२७
भूरी हथिनी के ऊपर ते लाखनि गरू दीन ललकार।।
मर्द सराहों में ताहर को डोला पास आउ सरदार १२८
बेला मिलिहें अब ब्रह्मा को ताहर कूच जाउ करवाय ।।
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आल्हखण्ड । ५५४
