दोऊ मारैं तलवारी ते दोऊ लेयँ ढालपर वार १५३
कोऊ काहू ते कमती ना द्वउ रणपरा बरोबरि आय ॥
गुर्ज चलाई फिरि चौड़ा ने हौदा झुके कनौजीराय १५४
ताकिकै भाला लाखनि मारा हाथी मस्तक गयो समाय ।।
हाथी गिरिगा यकदन्ता तहँ पैदलभयो चौंड़िया राय १५५
भागि सिपाही दिल्ली वाले अपने डारि डारि हथियार ॥
लैकै डोला आगे चलिभा लाखनि कनउज का सरदार १५६
गाहरिकारा फिरि दिल्ली मा जहँ पर भरी लाग दरबार ॥
ताहर धाँधू तहँ बैठे हैं अंगद नृपति ग्वालियर क्यार १५७
तहँ हरिकारा बोलन लाग्यो दोऊ हाथ जोरि शिरनाय ॥
जुझि ग हाथी इकदन्ता है लश्कर सबैगयो भर्राय १५८
डोला जावत है मोहबे को साँची खबरि दीन बतलाय ॥
सुनिकै बातैं हरिकारा की लश्कर तुरत लीन सजवाय १५९
आदि भयङ्कर चढ़ि गज ऊपर तुरतै कूच दीन कवाय ।।
बाजैं डंका अहतंका के हाहाकार शब्दगा छाय १६०
तुरही मुरही तहँ बाजत भइँ पुप्पू पुप्पू ध्वनी लगाय ॥
धम् धम् धम् धम् बजै नगारा मारा मारा परै सुनाय १६१
को गति बरणै त्यहि समया कै हमरे बूत कही ना जाय ॥
पहिले मारुइ भइँ तोपन की गोला चलन लागि हहराय १६२
बड़ी दुर्दशा भइँ तोपन में तब फिरि मारुवन्द ह्वैजाय ॥
मघा के बूँदन गोली बरपी क्षत्रीगये बहुत भहराय १६३
तीर तमंचा भाला बरछी कोताखानी चलीं कटार ॥
भा भटभेरा दल पैदल का घोड़नलड़ें घोड़असवार १६४
है दलगंजन के उपर मा ताहर पिरथी राजकुमार ।।
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बेला के गौने का द्वितीय युद्ध । ५५७
