पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५५८

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बेलाकेगोनेकाद्वितीययुद्ध 1५५७ दोऊ मारें तलवारी ते दोऊ लेय ढालपर वार १५३ कोऊ काहू ते कगती ना दर रणपरा बरोबरि आय ॥ गुर्ज चलाई फिरि चौड़ा ने हौदा झुके कनौजीराय १५४ ताकिकै भाला लाखनि मारा हाथी मस्तक गयो समाय । हाथी गिरिंगा यकदन्ता तहँ पैदलभयो चौंड़ियाराय १५५ भागि सिपाही दिल्ली वाले अपने डारि डारि हथियार ॥ लेके डोला आगे चलिभा लाखनिकनउजकासरदार १५६ गाहरिकारा फिरि दिल्ली मा जहँ पर भरीलाग दरखार ॥ ताहर धाँधू तह बैठे हैं अंगदनृपतिवालियरक्यार१५७ तह हरिकारा बोलन लाग्यो दोऊ हाथ जोरि शिस्नाय ॥ जुझि ग हाथी इकदन्ता है लश्कर सबैगयो भर्राय १५८ डोला जावत है मोहबे को साँची खबरि दीन बतलाय ॥ सुनिकै बातें हरिकारा की लश्करतुरतलीनसजवाय १५६ आदिमयङ्कर चदि गज ऊपर तुरते कूच दीन कवाय ।। बाजें डंका अहतंका के हाहाकार शब्दगा छाय १६० तुरही सुरही तहँ बाजत भइँ पुप्पू पुप्पू ध्वनी लगाय ॥ धम् धम् धम् धम् बजै नगारा मारा मारा परै सुनाय १६१ को गति बरणै त्यहि समयाकै हमरे बूत कही ना जाय ॥ पहिले मारुइ भइँ तोपन की गोलाचलनलागिहहराय १६२ बड़ी दुर्दशा भई तोपन में तब फिरि मारुवन्द लैजाय ॥ मघा के बूंदन गोली बरपी क्षत्रीगये बहुत महराय १६३ तीर तमंचा भाला वरची कोताखानी चली कटार ॥ भा भटभेरा दल पैदल का घोड़नलड़ें घोड़असवार १६४ है दलगंजन के उपर मा ताहर पिरथी राजकुमार ।।