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पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५६६

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अथ आल्हखण्ड ।।

बेला और ताहर का युद्ध वर्णन ॥


सवैया॥

मैं बृषभान लली बिनवों सो अली सँग कुंजन जातनितय।
गावत बेनु बजावत आवत मोहनलालहु नित्त तितय ।।
श्यामह श्याम भये ज्यहि ठौर सो और बखान करै को कितय ।
गावत गीत सबै ललिते ज्यहि आवत जोन जहाँलों जितय १

सुमिरन॥


राधा रानी ठकुरानी के दूनों धरों चरण पर माथ ।।
मोहिं भरोसा अब तेरो है स्वामिनि पूरिकरो यह गाथ १
कण्ठ में बैठे तुम कण्ठेश्वरि भुज बल बैठिजाय हनुमान।।
बैठि सरस्वति जा जिह्वामा भूले अक्षर करों बखान २
भाँग भवानी महरानी के वन्दन करों जोरि दोउ हाथ ।।
भाँग न होती जो दुनिया मा ललिते कौन देत तब साथ ३