पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५६६

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.. अथ माल्हखण्ड। बेलाऔरताहरकायुद्धवर्णन ॥ संवेया॥ में वृषभान लली बिनवों सो अली सँग कुंजन जातनितय। गावत बेनु बजावत आवत मोहनलालहु नित्त तितय ।। श्यामह श्याम भये ज्यहि ठौर सोऔर बखानकरै को कितय । गावत गीत सबै ललिते ज्यहि आवत जोन जहाँलों जितय ? सुमिरन॥ राधा रानी ठकुरानी के दूनों धरों चरण पर माथ ।। मोहिं भरोसा अब तेरो है स्वामिनि पूरिकरो यह गाथ? करण्ठ में बैठे तुम कण्ठेश्वरि भुज बल वैठिजाय हनुमान।। बेठि सरस्वति जा जिदामा भूले अक्षर करों बखान २ वन्दन करों जोरिदोउ हाय।। भाँग न होती जो दुनिया मा ललिते कौन देत तब साथ ३ भाँग भवानी महरानी के