बाजत डंका अहतंंका के पहुँचा नार उपरसो आय २१
दीख्यो आल्हा को चौंड़ाने गरुई हाँक कहा गुहराय ॥
डोला धरिकै अब बेला का जावो लौटि बनाफरराय २२
हुकुम पिथौरा का याही है आल्हा साँच दीन बतलाय ॥
सुनिकै बातैं ये चौंड़ा की बोला फेरि बनाफरराय २३
डोला लौटन को नाहीं है चौंड़ा काह गये बौराय ॥
एक पिथौरा की गिन्ती ना लाखन चढ़ैं पिथौरा आय २४
नगर मोहोबे डोला जाई चौंड़ा साँच दीन बतलाय ॥
गा हरिकारा फिरि तहँना ते जहँना बैठ बनाफरराय २५
डोला घेरा है बेला का बोला हाथ जोरि शिरनाय ।।
इतना सुनिकै ऊदन ठाकुर तुरतै कूच दीन करवाय २६
जहँ पर फौजे हैं चौंड़ा की पहुँचा तुरत लहुरवाभाय ।।
हाथ जोरिकै ऊदन बोले दादा कूच जाउ करवाय २७
इतना सुनिकै चौंड़ा वकशी तुरतै हुकुम दीन फर्माय ।।
जान न पावैं मोहबे वाले सब के देवो मूड़गिराय २८
हुकुम चौंड़िया का पावतखन क्षत्रिन खैंचि लीन तलवार ।।
झुके सिपाही दुहुॅ तरफा के लागी होन भडाभड़ मार २९
गोली ओला सम बरसी तहँ कोताखानी चली कटार ।।
भा खल भल्ला औ हल्लाअति जूझन लागि शूर सरदार ३०
कटि कटि कल्ला गिरैं बछेड़ा घूमैं मूड़ बिना असवार ।।
खट खट खट खट तेगा बोलैं बोलें छपक छपक तलवार ३१
झल् झल् झल् झल् झीलम झलकै नीलम रंग परैं दिखलाय ।।
चम् चम् चम् चम् छूरी चमकैं कउॅ धाल पकनि खड्गदिखाय ३२
मर् मर् मर् मर् ढालैव्वालैं तेगा ठन्न ठन्न ठन्नाय ।।
पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५६९
दिखावट
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
४
आल्हखण्ड । ५६८
