सन् सन् सन् सन् गोली बरसैं तीरन मन्न मन्न गा छाय ३३
धम् धम् धम् धम् बजैं नगारा मारा मारा परै सुनाय ॥
बड़ी खुशाली रण शूरन के कायर गये तहाँ सन्नाय ३४
कायर सोचत मन अपनेमा नाहक प्राण गँवाये आय ।।
माठा रोटी घरमा खाइत आपनि भैंसि चराइत जाय ३५
यह गति जानित जो पहिलेते काहे फँसित समर में आय ॥
नई बहुरिया घरमा बैठी कैसे धरा धीर उरजाय ३६
हाय रुपैया बैरी ह्वैगे हमरे गई प्राण पर आय ॥
को समुझाई घर दुलहिनिका देवी देवता रहे मनाय ३७
कायर बिनवैं मन सूरजते पश्चिम जाउ आज महराज ।।
तौ हम भागैं समरभूमि ते औ रहिजाय जगत में लाज ३८
शर सिपाही ईजति वाले दहिनी धरैं मुच्छ पर हाथ ।।
हनि हनि मारैं समरभूमि मा कटि कटि गिरैं चरण औ माथ ३९
को गति बरणै त्यहि समया कै बाजै घूमि घूमि तलवार ।।
मारे मारे तलवारिन के नदिया बही रक्त की धार ४०
मुण्डन केरे मुड़चौरा भे औ रुण्डन के लगे पहार ।।
घोड़ बेंदुला के ऊपर ते नाहर उदयसिंह सरदार ४१
फिरि फिरि मारै औ ललकारै बेटा देशराज का लाल ।।
गरुई हाँके सुनि ऊदन की कम्पित होयँ तहाँ नरपाल ४२
एँड़ लगावै रस बेंदुल के हौदा उपर पहूँचै जाय ।।
मारि महाउत को हनिडारै औ असवारै देय गिराय ४३
यह गति दीख्यो जब ऊदन कै चौड़ा हाथी दीन बढ़ाय ।।
औ ललकारा समरभूमि मा ठाढ़े होउ बनाफरराय ४४
गरुई हाँकैं सुनि चौंड़ा की ऊदन घोड़ा दीन उड़ाय ।।
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बेला ताहर का मैदान । ५६९
