पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५७०

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बेलाताहरकामैदान । ५६६ सन् सन् सन् सन् गोली बरसें तीरन मन्न मन्न गा छाय ३३ घम धम् धम् धम् बजै नगारा मारा मारा परै सुनाय॥ बड़ी खुशाली रणशूरन के कायर गये तहाँ सन्नाय ३४ कायर सोचत मन अपनेमा नाहक प्राण गँवाये आय ।। माठा रोटी घरमा खाइत आपनि भैसिचराइत जाय ३५ यह गति जानित जो पहिलेते काहे फॅसित समर में आय ॥ नई बहुरिया घरमा बैठी कैसे धरा धीर उरजाय ३६ हाय रुपैया वैरी हुँगे हमरे गई प्राण पर आय ॥ को समुझाई घर दुलहिनिका देवी देवता रहे मनाय ३७ कायर बिन₹ मन सूरजते पश्चिम जाउ आज महराज। ।। वो हम भागें समरभूमि ते औरहिजायजगतमें लाज३८ शर सिपाही ईजतिवाले दहिनी धरै गुच्छ पर हाथ ।। हनि हनि मारे समरभूमि मा कटिकटिगिरचरणौमाथ ३९ को गतिवरणे त्यहिसमया के बाजे धूमि घूमि तलवार ।। मारे मारे तलवारिन के नदिया वही रक्तकी धार ४० मुण्डन केरे मुड़चौरा भे औ रुण्डन के लगे पहार ।। घोड़ बेंदुला के ऊपर ते नाहर उदयसिंह सरदार ४१ फिरि फिरि मारे औ ललकारे बेटा देशराज का लाल ।। गरुई हाँके मुनि ऊदन की कम्पित होय तहाँ नरपाल ४२ ऍड़ लगावे रस बेंदुल के हौदा उपर पहूँचै जाय ।। मारि महाउत को हनिडारे ओ असारै देय गिराय ४३ • यह गति दीख्यो जब ऊदन के चौड़ा हाथी दीन बढ़ाय ।। औ ललकारा समरभूमि मा ठाढ़े होउ बनाकरराय ४४ गर्द हाँके मुनि चौड़ा की ऊदन घोड़ा दीन उड़ाय ।।