पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५७१

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आल्हखण्ड । ५७० ६ भाला मारा इकदन्ताके भाग्यो तुरत पछाराखाय ४५ खेत छूटिगा तब चौड़ा ते आल्हा कुच दीन करवाय ॥ डोला पहुँचा वाइन पुरवा वेला बोली वैन मुनाय ४६ नगर मोहोवा का याही है 'साँची कहीं बनाफरराय ।। नगर मोहोवे का पुरवा यह वेचा रानी परै दिखाय ४७ खबार पायकै सुखिया बारिनि तहँ पर गई तडाका आय ॥ संग सहेलिन को लैकै सो परछन कीन तहाँपर जाय ४८ चलिभा डोला फिरि आगे को मालिनि पुरै पहुँचा आय ।। खबरि पायकै फुलियामालिनि सोऊ चली तड़ाका धाय ४६. संग सहेलिन को लीन्हे सो डोला पास पहुँची आय ।। कीनि आरती सो वेला की देखिक रूप गई सन्नाय ५० हाय ! विधाता यह का कीन्ही सुरपुर पती दीन पठ्वाय॥ इतना कहिकै फुलियामालिनि दाँते ॲगुरी लीन चपाय ५१ सुनिकै वाले ये फुलिया की वेला गयो क्रोध उरछाय॥ हुकुम लगायो इक चाकर को जूतिन देवो मुड़ ठठाय ५२ हुकुम पायकै सो वेला को मारन लाग तड़ाका धाय ॥ आल्हा बोले तब वेला ते यहनहिं तुम्हें मुनासिव आय५३ ये न डोला गा मोहवे का यति प्रथम रहिउ पिटवाय ॥ मुनिक बातें ये आल्हा की वेला तुरत दीन छुड़वाय ५४ मालिनि पुरवा ते डोला चलि पहुँचा नगर मोहोवे आय॥ खबरि पायकै वारहु रानी मल्हनामहलगई सवधाय५५ द्यावलि सुनवाँ फुलवा मल्हना द्वारे सबै पहूँचीं आय ॥ कीन जाग्नी तह वेला की सबहिनदुःख शोकविसराय५६ संगे लेके फिरि वेला का महलन गई तड़ाका आय॥