भाला मारा इकदन्ताके भाग्यो तुरत पछाराखाय ४५
खेत छूटिगा तब चौंड़ा ते आल्हा कुच दीन करवाय ॥
डोला पहुँचा बरइन पुरवा बेला बोली वैन सुनाय ४६
नगर मोहोबा का याही है साँची कहौ बनाफरराय ।।
नगर मोहोबा का पुरवा यह बेला रानी परै दिखाय ४७
खबरि पायकै सुखिया बारिनि तहँ पर गई तड़ाका आय ॥
संग सहेलिन को लैकै सो परछन कीन तहाँपर जाय ४८
चलिभा डोला फिरि आगे को मालिनि पुरै पहूँचा आय ।।
खबरि पायकै फुलिया मालिनि सोऊ चली तड़ाका धाय ४९
संग सहेलिन को लीन्हे सो डोला पास पहुँची आय ।।
कीनि आरती सो बेला की देखिकै रूप गई सन्नाय ५०
हाय ! विधाता यह का कीन्ही सुरपुर पती दीन पठ्वाय ।।
इतना कहिकै फुलिया मालिनि दाँते ॲगुरी लीन चपाय ५१
सुनिकै बातैं ये फुलिया की बेला गयो क्रोध उरछाय॥
हुकुम लगायो इक चाकर को जूतिन देवो मूड़ उठाय ५२
हुकुम पायकै सो बेला को मारन लाग तड़ाका धाय ॥
आल्हा बोले तब बेला ते यह नहिं तुम्हें मुनासिब आय ५३
आवे न डोला गा मोहबे का रैयति प्रथम रहिउ पिटवाय ॥
सुनिकै बातैं ये आल्हा की बेला तुरत दीन छुड़वाय ५४
मालिनि पुरवा ते डोला चलि पहुॅचा नगर मोहोबे आय ॥
खबरि पायकै बारहु रानी मल्हना महल गई सब धाय ५५
द्यावलि सुनवाँ फुलवा मल्हना द्वारे सबै पहूँचीं आय ॥
कीन आरती तहॅ बेला की सबहिन दुःख शोक बिसराय ५६
संगै लैकै फिरि बेला का महलन गई तड़ाका आय॥
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आल्हखण्ड । ५७०
