पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५७४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

बेलाताहरकामैदान । ५७३ तब समुझावै मल्हना रानी बहुवर शोक देउ विसराय ८१ पारस पत्थर घर तुम्हरेमा बहुवर बैठिकरो तुम राज ।। हुकुम तुम्हारो रैयति मानी हैं सबै धर्म के काज ८२ द्यावलि बोली फिरि बेला ते रानी बचन करो परमान ।। धर्म सनातन को याही है राखै सासु श्वशुरको मान ८३ इतना सुनिकै बेला बोली यहु दुख दून तुम्हारो दीन । घर बैठास्यो दोउ पुत्रन को मोहवा बंशनाश तुम कीन ८४ इतना मुनिकै द्यावलि बोली साँची मानो कही हमार॥ यह सब करतब है माहिल कै जिनके चुगुलिनका वैपार ८५ सवन चिरैया ना घर छोड़े ना बनिजरा वनिजको जाय ।। चुगुली करिकै माहिलठाकुर मोको तुरत दीन निकराय ८६ गेजगनायक जब कनउजका आवें नहीं बनाफरराय ॥ लाये संग कनौजीराय ८७ घाटबयालिस तेरह घाटी सब रुकवा पिथौराराय।। सबियाँ लीन्हे घाट छड़ाय ८८ पान धरायो जब गौने का तब नहिं बीरा कऊ चवाय ।। ब्रह्मा लीन्यो तुरत छडाय ८६ यह सब करतब है माहिल के डायनि वंशनाश करवाय ।। काल नगीचे ज्यहि के आवै त्यहिकै देखें वुद्धि नशाय ६० इतना कहते तहँ द्यावलि के आल्हा गये तड़ाकाआय ।। कीरतिसागर लयो दिखाय ६१ यह मन भाई सब सनिनके पलकी चढ़ी तड़ाकाधाय ।। चली पालकी महरानिन की संगै चले वनाफरराय ६२ कीरतिसागर फिरि आई सब नोंका पास लीन गंगवाय ।। में समुझायों दउ भाइन का जीति पिथोरा को लखाना वीरा लीन्यो जब ऊदन ने बेला बोली तहँ आल्हा ते