तब समुझावै मल्हना रानी बहुवर शोक देउ बिसराय ८१
पारस पत्थर घर तुम्हरेमा बहुवर बैठिकरो तुम राज ।।
हुकुम तुम्हारो रैयति मानी ह्वैहैं सबै धर्म के काज ८२
द्यावलि बोली फिरि बेला ते रानी बचन करो परमान ।।
धर्म सनातन को याही है राखै सासु श्वशुरको मान ८३
इतना सुनिकै बेला बोली यहु दुख दून तुम्हारो दीन ।।
घर बैठारयो दोउ पुत्रन को मोहबा बंशनाश तुम कीन ८४
इतना सुनिकै द्यावलि बोली साँची मानो कही हमार ॥
यह सब करतब है माहिल कै जिनके चुगुलिन का बैपार ८५
सवन चिरैया ना घर छोड़े ना बनिजरा बनिज को जाय ।।
चुगुली करिकै माहिल ठाकुर मोको तुरत दीन निकराय ८६
गे जगनायक जब कनउज का आवैं नहीं बनाफरराय ॥
मैं समुझायों द्वउ भाइन का लाये संग कनौजीराय ८७
घाट बयालिस तेरह घाटी सब रुकववा पिथौराराय।।
जीति पिथौरा को लखाना सबियाँ लीन्हे घाट छँड़ाय ८८
पान धरायो जब गौने का तब नहिं बीरा क्वऊ चबाय ।।
वीरा लीन्ह्यो जब ऊदन ने ब्रह्मा लीन्ह्यो तुरत छँडाय ८९
यह सब करतब है माहिल के डारयनि वंशनाश करवाय ।।
काल नगीचे ज्यहि के आवै त्यहिकै देवै बुद्धि नशाय ९०
इतना कहतै तहँ द्यावलि के आल्हा गये तड़ाका आय ।।
बेला बोली तहँ आल्हा ते कीरतिसागर लवो दिखाय ९१
यह मन भाई सब रानिन के पलकी चढ़ी तड़ाका धाय ।।
चली पालकी महरानिन की संगै चले बनाफरराय ६२
कीरतिसागर फिरि आई सब नोंका पास लीन मॅगवाय ।।
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बेला ताहर का मैदान । ५७३
